Waqf Act पर कहां फंसी सरकार? क्या हैं वो तथ्य जिसकी कसौटी पर अपना फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
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बीते दिनों देश दुनिया में ऑल आइज करके कई ट्रेंड चले थे। कभी कुछ बुद्धिजीवियों और भारत के भी कई सेलिब्रेटीज ने ऑल आइज ऑन रफा जैसे ट्रेंड की भेड़चाल में खुद को शामिल करते हुए पोस्ट किए थे। वहीं कभी ऑल आईज ऑन रियासी दक्षिणी गाजा के राफा में एक शरणार्थी शिविर में इजरायली हवाई हमले के बाद ऑल आईज ऑन रफा के पोस्ट ट्रेंड में आए तो ऑल आईज ऑन रियासी वाला ट्रेंड तब शुरू हुआ जब जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में एक दुखद बस दुर्घटना की खबर सामने आई। लेकिन इस सप्ताह ऑल आईज ऑन सुप्रीम कोर्ट यानी पूरे भारत की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर थीं। मुस्लिम पक्ष टकटकी लगाए बैठा था तो सरकारी वकीलों की भी धड़कनें बढ़ी हुई थी। 16 अप्रैल को वक्फ कानून पर शुरू हुई सुनाई ने इस कानून पर रोक की सुगबुगाहटों को पैदा कर दिया था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दो विवादित विषयों पर यथास्थिति बरकरार रखी गई। वो विषय कौन से हैं। सरकारी वकील और जजों के बीच क्या बहस हुई। भविष्य में क्या हो सकता है? वक्फ संशोधन कानून पर 16 अप्रैल को सुनवाई शुरू हुई थी तब सुप्रीम कोर्ट ने नए कानून के तीन अहम प्रावधानाों पर सवाल किए थे और कहा था कि फिलहाल वो कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करेंगे। सरकार की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलें रखने के लिए और वक्त मांगा था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 अप्रैल को तय कर दी। फिर 17 अप्रैल की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल ने जवाब देते हुए कहा कि कोर्ट प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से कानून पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है। उठाए गए सवालों का जवाब दिया जाएगा। ये ऐसे सवाल नहीं जिनसे कोर्ट स्टे पर विचार करने को मजबूर हो। लाखों शिकायतें मिलीं। गांव के गांव वक्फ के तहत कब्जे में ले लिए गए। कई लोगों की शिकायतें पेंडिंग हैं। जवाब देने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए होगा। इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि कानून पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती। हम ये भी नहीं चाहते कि अभी की स्थिति को बदला जाए। खासकर, जब तक कोर्ट में सुनवाई हो रही है, तब तक यथास्थिति बरकरार रखी जाए।
वक्फ बाय यूजर का मुद्दा क्या है
वक्फ बाय यूजर के मामले को नई संशोधन में हटा दिया गया था। मान लीजिए कोई 200-300 साल पुरानी संपत्ति है, जो वक्फ की प्रॉपर्टी है, कब्रिस्तान, मस्जिद या फिर कुछ और उसे उसी तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन नए एक्ट में बोला गया कि अगर आप रजिस्टर्ड नहीं हो, अगर आपकी प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड नहीं है तो इसे मान्य नहीं ठहराया जा सकता है। इसे चैलेंज किया जा सकता है। याचिकाकर्ताओं ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2019 अयोध्या फैसले में भी वक्फ बाय यूजर की वैधता को स्वीकार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल पूछा जिस पर सरकार ने कहा कि इससे संबंधित और भी कागजात पेश किए जाएंगे। 100 साल पुराना मामला है, हमें थोड़ी मोहलत चाहिए होगी। जब सरकार का जवाब आ जाएगा तो याचिकाकर्ताओं को उत्तर का प्रतिउत्तर देने के लिए पांच दिन का वक्त दिया जाएगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई पांच मई को दोपहर 2 बजे होगी। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस नए कानून पर रोक नहीं लगाई है। लेकिन इसके कुछ प्रावधानों पर अगली सुनवाई तक स्टे लगा दिया है। जैसे वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर मुसलमानों की नियुक्ति नहीं होगी।
जिन वक्फ प्रॉपर्टी को पहले नोटिफाई किया जा चुका है, उका स्टेटस नहीं बदला जाएगा।
इसें वक्फ बाय यूजर वाली संपत्तियां भी शामिल हैं।
क्या सुप्रीम कोर्ट रद्द कर सकता है कानून
नए वक्फ संशोधन कानून में भी सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि देश के संविधान में जो प्रावधान हैं उसका कहीं भी किसी भी सूरत में उल्लंघन ना हो। इस अर्थ यह है कि सुप्रीम कोर्ट के पास अधिकार है कि वह किसी भी कानून को असंवैधानिक घोषित करके उसे रद्द कर सकता है। हालांकि इसके लिए कुछ नियम और एक प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट किसी कानून को रद्द कर सकता है। लेकिन इसके लिए याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के सामने यह साबित करना होगा कि इस कानून को बनाकर संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ की गई है। ऐसे में ना केवल सुप्रीम कोर्ट दखल करेगा बल्कि कानून रद्द भी कर देगा।
1 दिसंबर 2018 एनजीएसी को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल रिव्यू पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था।

15 फरवरी 2024 सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे के लिए तय स्कीम इलेक्टोरल बॉन्ड को खारिज किया था।

11 मई 2023 दिल्ली में सर्विसेज का कंट्रोल किसके हाथ में हो, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था।

11 दिसंबर 2023 सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को स्पेशल दर्जा देने वाला अनुच्छेद-370 अस्थायी प्रावधान है।

7 नवंबर 2022 सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्लूएस कैटिगरी को दिए जाने वाले 10% रिजर्वेशन की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था।

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