यूपी में निकाय चुनाव एक बार फिर टलने की आशंका जताई जा रही है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ओबीसी आयोग की पूरी रिपोर्ट तलब की है। इस रिपोर्ट के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति दर्ज कराते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है।
इससे पहले भी एक बार अनंतिम आरक्षण की सूची जारी होने के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। हाईकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के बगैर ओबीसी आरक्षण को गलत मानते हुए बिना आरक्षण की चुनाव कराने का आदेश दिया था।
राज्य सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। वहां ट्रिपल टेस्ट और ओबीसी आरक्षण के लिए सर्वे कराने का समय मांगा था। सुप्रीम कोर्ट से इजाजत के बाद ओबीसी आयोग ने सर्वे कर रिपोर्ट दी थी। सरकार ने रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी देने के बाद सुप्रीम कोर्ट में दोबारा रखा और चुनाव की हरी झंडी मिली थी।
इसी के आधार पर पिछले हफ्ते आरक्षण की अनंतिम सूची जारी हुई थी। छह अप्रैल तक इन पर आपत्ति मांगी गई है। इसके बाद अंतिम सूची और चुनावों का ऐलान होना है। इस बीच हाईकोर्ट ने ओबीसी की पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है।
ओबीसी आयोग की रिपोर्ट पर अधिनियम में संशोधन
पिछड़ों को समुचित आरक्षण देने के लिए ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने पिछले दिनों सामान्य नगरीय निकाय निर्वाचन-2023 उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 एवं उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 में संशोधन किए करते हुए मंजूरी दी थी।
पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के मद्देनजर नगर पालिका परिषद और नगर निगम अधिनियम में संशोधन करने की जरूरत थी। इसके लिए पहले कैबिनेट से अनुमति मांगी गई थी जो मिल गई है। इसके बाद इसे राज्यपाल को भेजा गया और मंजूरी ली गई।