RSS को चुनौती, दक्षिण के दोस्तों को ललकार: नागपुर में मेगा रैली कर कांग्रेस ने 2024 के लिए दिए क्या संदेश?
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कांग्रेस पार्टी ने अपने 139वें स्थापना दिवस पर महाराष्ट्र के नागपुर में विशाल रैली का आयोजन किया। इसे ‘हैं तैयार हम’ नाम दिया गया था। देश की राजधानी नई दिल्ली से करीब 1100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विदर्भ इलाके के मध्य में स्थित शहर नागपुर में की गई इस रैली को अगले साल अप्रैल-मई 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के चुनावी अभियान का आगाज कहा जा रहा है।

कांग्रेस का कहना है कि ‘हैं तैयार हम’ की थीम देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए कांग्रेस की लड़ने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। रैली का स्थान दिघोरी नाका क्षेत्र में स्थित था, जिसे कांग्रेस ने राहुल की भारत जोड़ो यात्रा से कनेक्ट करते हुए “भारत जोड़ो ग्राउंड” बना दिया था। आइए, समझते हैं कि महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी नागपुर में कांग्रेस की इस मेगा रैली के पीछे किया संदेश छुपे हैं:

नागपुर से कांग्रेस का ऐतिहासिक जुड़ाव
नागपुर से कांग्रेस का जुड़ाव भारत की आज़ादी से पहले का है। दिसंबर 1920 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में ही पार्टी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करने का स्पष्ट आह्वान किया था। इसी सम्मेलन में कांग्रेस ने महत्वपूर्ण संगठनात्मक सुधार भी किए थे, जिसमें 350 सदस्यों के साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को मजबूत करने और 15 सदस्यीय कांग्रेस कार्यसमिति को सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था के रूप में गठित करने का निर्णय लिया गया था।

इंदिरा गांधी से जुड़ाव
आजादी के बाद, 1959 में आयोजित कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में ही इंदिरा गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुनाव गया था। तब सिर्फ 41 साल की थीं। उनके नाम की सिफारिश निवर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष यूएन ढेबर ने की थी। आपातकाल के दौरान जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में “इंदिरा हटाओ, देश बचाओ” आंदोलन के दौरान भी, कांग्रेस नागपुर पर अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही थी। नागपुर हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है। इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि नागपुर लोकसभा सीट से भाजपा अब तक केवल तीन बार – 1996, 2014 और 2019 में ही जीत सकी है। फिलहाल मितिन गडकरी वहां से सांसद हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय
नागपुर में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय भी है। संघ की स्थापना इसी शहर के रहने वाले डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में की थी। यह संस्था भाजपा और कई अन्य सहयोगियों का वैचारिक स्रोत है। संघ को बीजेपी का पॉवर हाउस भी कहा जाता है।

नागपुर में मेगा रैली कर कांग्रेस ने संघ और भाजपा के खिलाफ अपनी वैचारिक लड़ाई को नई धार देने की कोशिश की है और इसका स्पष्ट संदेश देने के लिए नागपुर को चुना है। राहुल ने कहा कि कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई में गरीबों, दलितों, महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने कहा कि संघ की विचारधारा इससे उलट है। राहुल ने कहा कि संघ-भाजपा के लोग दलितों, गरीबों, महिलाओं के विरोधी हैं। वह आजादी से पहले के दौर में भारत को ले जाना चाहते हैं। इसलिए, माना जा रहा है कि कांग्रेस ने नागपुर की जमीन पर अपनी पुरानी सियासी जमीन तलाशने की कोशिश में मेगा रैली की है। राहुल ने कहा भी कि कांग्रेस संघ और भाजपा के खिलाफ सियासी जंग लड़ेगी और संवैधानिक संस्थानों को मजबूत करने के लिए लड़ेंगे।

अम्बेडकर की दीक्षाभूमि
नागपुर में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की भी कर्मभूमि और दीक्षाभूमि रही है। बी आर अंबेडकर ने 14 अक्टूबर, 1956 को दशहरे के दिन अपने लाखों अनुयायियों के साथ इसी नागपुर में बौद्ध धर्म अपनाया था। उस ऐतिहासिक स्थल पर दीक्षाभूमि नामक एक स्मारक है। कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि रैली के लिए नागपुर को इसलिए भी चुना गया क्योंकि यह शहर आरएसएस और संविधान के प्रमुख वास्तुकार दोनों की विचारधाराओं को प्रतिबिंबित करता है। कांग्रेस ने खुद को अंबेडकर की विरासत पर चलने का दावा करते हुए आरोप लगाया नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार “संविधान बदलने” पर आमादा है। कांग्रेस ने कहा भी कि आज देश में दो विचारधारा की लड़ाई चल रही है और संभवत: उस लड़ाई को नागपुर से नई धार देने की कोशिश की गई है।

2024 लोकसभा चुनाव
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी ने नागपुर में रैली की थी। इसका असर यह हुआ था कि देशभर में कांग्रेस के खिलाफ हवा होने के बावजूद विदर्भ क्षेत्र की सभी सीटें कांग्रेस ने जीत ली थी। कांग्रेस को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी के अघोषित आपातकाल के दौर में यह रैली नागपुर की राजनीतिक जमीन समेत देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव की शुरुआत करेगी।

नागपुर में मेगा रैली आयोजित करने और शक्ति प्रदर्शन करने का एक मकसद राज्य की महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल दलों को संदेश देना भी है क्योंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट और शरद पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट के साथ अभी तक चुनावों को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी है। लोकसभा के साथ ही महाराष्ट्र में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। माना जा रहा है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे की पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा को “कड़ी टक्कर” देंगे।

प्रकाश आंबेडकर को दोस्ती का पैगाम
नागपुर में रैली कर कांग्रेस ने बाबा साहेब अंबेडकर के पोते और वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर को भी सियासी समझौते के संदेश दिए हैं। वंचित बहुजन अघाड़ी ने 2019 के विधानसभा चुनावों में 4.6 फीसदी वोट हासिल किए थे, जबकि लोकसभा चुनावों में उसे 6.92 फीसदी वोट मिले थे। प्रकाश अंबेडकर भी दलितों की लड़ाई लड़ने का दावा करते हैं और आरएसएस-भाजपा के एजेंडे के विरोधी रहे हैं।

दक्षिणी किले में एकजुटता का संदेश
आगामी लोकसभा चुनाव को दक्षिण बनाम उत्तर की भी लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। नागपुर की भौगोलिक स्थिति भारत के मध्य में है। कांग्रेस ने वहां से दक्षिणी राज्यों, जहां भाजपा कमजोर अवस्था में है, को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र समेत कुल छह राज्यों में लोकसभा की कुल 177 सीटें हैं, जो कुल लोकसभा सीटों का करीब एक तिहाई है।महाराष्ट्र को छोड़कर इन सभी राज्यों में गैर भाजपा दलों की सरकार है। तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में भाजपा बहुत कमजोर है।

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