पिछले दो बार के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी गुजरात की सभी सीटों पर जीत के साथ क्लीन स्वीप कर रही है। ताजा सर्वे के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा गुजरात की 26 की 26 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए दिख रही है।
ऐसे में एक सवाल सामने आता है कि आखिर वो कौन सा सबसे बड़ा फैक्टर है जिस वजह से बीजेपी गुजरात में तीसरी बार क्लीन स्वीप करने के बिलकुल करीब है। इस दौरान कांग्रेस के पास गुजरात में अपना प्रदर्शन बेहतर करने का एक बड़ा मौका भी है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री ‘नरेन्द्र मोदी का करिश्मा’ सबसे बड़ा कारक है। ‘मोदी का करिश्मा’ उन प्रमुख कारकों में से एक है जो गुजरात में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को संभवत: सर्वाधिक प्रभावित करेंगे। गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट के लिए एक चरण में सात मई को मतदान होगा और मतगणना चार जून को होगी।
गुजरात के लोकसभा चुनावों में सत्ताविरोधी भावना, बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं जैसी कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी हैं। लेकिन भाजपा की कोशिश गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखने की होगी जिनपर उसने वर्ष 2019 के चुनाव में जीत दर्ज की थी।
गुजरात में लोकसभा चुनाव के बड़े मुद्दे
प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा
सत्ताधारी भाजपा के पास प्रधानमंत्री मोदी के रूप में एक तुरुप का पत्ता है जो गुजरात से हैं और वर्ष 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। अपने गृह राज्य में समर्थकों पर उनका दबदबा अब भी बरकरार है।
सत्ताविरोधी भावना
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस, केंद्र में भाजपा के पिछले 10 साल के शासन के दौरान किसी भी सत्ता विरोधी भावना का फायदा उठाने की कोशिश करेगी। उन्हें लगता है कि विचारधारा के आधार पर वोट नहीं देने वाले लोगों को उचित विकल्प पेश करके विपक्ष द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा मौका हो सकता है।
महंगाई
महंगाई के प्रभाव के संदर्भ में निम्न और मध्यम आय वाले परिवार सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसलिए यह इस बात पर विचार करने में निर्णायक कारक होगा कि पिछले 10 वर्षों में मूल्य वृद्धि ने लोगों के जीवन को कैसे प्रभावित किया है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है।
बेरोजगारी
यह एक और मुद्दा है जिसका उपयोग कांग्रेस लगातार केंद्र पर हमला करने के लिए कर रही है। चूंकि यह मुद्दा सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन को प्रभावित करता है, इसलिए जब मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे तो उनके मन में यह बात सबसे ऊपर होगी।
दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
यदि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल की कक्षाओं का निर्माण किया जाता है, तो वहां शिक्षकों की कमी होती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्सकों की कमी भी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
किसानों के मुद्दे
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ज्यादा बारिश के कारण फसल के नुकसान के लिए पर्याप्त मुआवजे की कमी, उर्वरकों की अनुपलब्धता और परियोजना विकास के लिए भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दे भी मतदाताओं के रुख को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।