यूपी विधानमंडल शीतकालीन सत्र के करीब तीन हफ्ते बाद मंगलवार को लोकभवन में कैबिनेट की बैठक हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई अहम प्रस्ताव रखे गए। कैबिनेट की इस बैठक में यूपी सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा के लाखों आवंटियों को बड़ी राहत देने का फैसला लिया।
जिन आवंटियों ने बिल्डर को पूरा पैसा जमा कर दिया है और कब्जा नहीं मिला है, उन्हें कब्जा दिला कर उनके फ्लैट की रजिस्ट्री होगी। इसके अलावा जो लोग फ्लैट में रह रहे हैं, उनके मकानों की भी रजिस्ट्री हो सकेगी। कोरोना काल को जीरो पीरियड मानते हुए बिल्डरों को ब्याज नहीं देना पड़ेगा। कैबिनेट मीटिंग में यह भी तय हुआ कि सरकार के इस पुनर्वास पैकेज की सुविधा लेने बिल्डर होमबायर्स से कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लेंगे।
दो साल का नहीं देना होगा ब्याज
वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कैबिनेट निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि औद्योगिक विकास विभाग के इस निर्णय से एनसीआर के 2.40 लाख आवंटियों का फायदा होगा। दरअसल, नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की कमेटी की संस्तुतियों को मानते हुए कैबिनेट ने ‘लिगेसी स्टॉल्ड रीयल इस्टेट प्रोजेक्ट्स’ प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। समिति ने सिफारिश की थी यदि आवंटी ने पूरा पैसा जमा कर दिया है और उसे कब्जा नहीं मिला है तो उसे मकान का कब्जा दिला कर उसकी रजिस्ट्री कराई जाए। यदि क्रेता मकान में निवास कर रहा है और उसकी रजिस्ट्री नहीं हुई है तो उसकी रजिस्ट्री कराई जाए। समिति ने एक अप्रैल 2020 से मार्च 2022 तक कोरोना से प्रभावित कालखंड को जीरो पीरियड मानते हुए बिल्डरों को इस अवधि में ब्याज में छूट देने की भी संस्तुति की थी।
वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि राज्य सरकार ने इन दोनों संस्तुतियों को मान लिया है। इससे एनसीआर क्षेत्र में बड़ी संख्या में आवंटियों को राहत मिलेगी। वहीं रुकी हुईं आवासीय परियोजनाएं भी पूरी हो सकेंगी और बिल्डर अपने प्रोजेक्ट में अधूरे फ्लैट पूरे करा सकेंगे। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा। असल में इंडियन बैंक एसोसिएशन के एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश में 4.12 लाख ऐसे घर हैं, जो डवलपर की खराब वित्तीय स्थिति के कारण पूरे नहीं हो पा रहे हैं।
अमिताभ कांत कमिटी ने की हैं और भी सिफारिशें
कमेटी ने कहा है कि सारे रियल इस्टेट परियोजनाओं को रेरा में अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना चाहिए। इससे रियल इस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता के साथ-साथ जवाबदेही भी सुनिश्चित हो सकेगी।
रियल इस्टेट कंपनियों को हर हाल में अधिकृत घर खरीदने वालों के हक में रजिस्ट्रेशन या सबलीज कराना होगा। इससे घर खरीदने वाले लोगों को फायदा होगा। डिफाल्टर बिल्डर से उनके बकाया वसूलने के लिए सख्त प्रक्रिया अपनाई जाए। इसके लिए रवेन्यू रिकवरी एक्ट, इंडस्ट्रियल आथारिटी एक्ट के जरिए वसूली कराई जाए इससे अधिकृत घर खरीददारों को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ घर खरीदने वालों को बकाया बिल्डर को अदा करना है उसके लिए नई व्यवस्था के तहत बिल्डर के बजाए रेरा उसे वसूले।
कमेटी ने कहा कि निर्माण परियोजना पूरी होने के बाद भी आवंटी को घर नहीं मिल पाता है क्योंकि एनओसी, पूर्णता प्रमाणपत्र व अन्य कागज प्रशासन की ओर से नहीं मिल पाते हैं। इसलिए रेरा ऐसे प्रोजेक्ट चिन्हित करने चाहिए और 30 दिन में उनका समाधान कराना चाहिए। बकाए के निस्तारण के बिना भी रियल इस्टेट प्रोजेक्ट को विस्तार की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे डवलपर्स के अधूरे प्रोजेक्ट पूरा होना सुनिश्चित हो सकेगा।