मध्य प्रदेश समेत पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल जारी कर दिए गए हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में दो बड़ी चुनावी एजेंसियों ने चौंकाने वाले आंकड़े दिए हैं।
टुडेज चाणक्य और एक्सिस माय इंडिया के अनुसार, मध्य प्रदेश में बीजेपी को बंपर सीटें मिलने जा रही हैं, जबकि राजस्थान में कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में थोड़ी बढ़त है। टुडेज चाणक्य के अनुसार, मध्य प्रदेश में बीजेपी को 139-163 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस को 62-86 सीटें। इसके अलावा, एक्सिस माय इंडिया ने बीजेपी को 140-162 सीटें और कांग्रेस को 68-90 सीटें दी हैं। राजस्थान की बात करें तो एक्सिस ने बीजेपी को 80-100, कांग्रेस को 86-106 सीटें दी हैं। यानी कि बढ़त कांग्रेस को है। इसके अलावा, टुडेज चाणक्य ने बीजेपी को 77-101 और कांग्रेस को 89-113 सीटें दी हैं। भले ही राजस्थान में टफ फाइट दिखाई गई हो, लेकिन दोनों सर्वों में कांग्रेस को बढ़त है और सरकार बना रही है। इन दोनों सर्वों के हिसाब से मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस की वापसी हो रही है। यदि तीन दिसंबर को आने वाले चुनावी नतीजों में भी ऐसा ही होता है तो यह शिवराज सिंह चौहान और अशोक गहलोत के लिए बहुत बड़ी बात होगी और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाना दोनों दलों के लिए आसान नहीं होगा।
शिवराज और गहलोत ने लड़ा एक जैसा ही चुनाव
शिवराज सिंह चौहान और अशोक गहलोत, दोनों ने ही अपने-अपने राज्यों में एक जैसा ही चुनाव लड़ा। दोनों अपनी ही पार्टी में कई गुटों का सामना कर रहे थे। मध्य प्रदेश में बीजेपी के कई बड़े नेता हैं, जिन्हें अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता है। कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा आदि। वहीं, राजस्थान में कांग्रेस में भी पांच सालों तक सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जमकर खींचतान चलती रही। चुनाव के कुछ महीनों पहले तक, एमपी में शिवराज सरकार की हालत काफी खराब बताई जाती रही, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आया, उनकी योजनाओं ने कमाल करना शुरू कर दिया। लाड़ली बहना योजना ने न सिर्फ महिलाओं को आर्थिक रूप से फायदा पहुंचाया, बल्कि उनका वोट भी बीजेपी की ओर खींचा। उधर, राजस्थान में अशोक गहलोत ओपीएस, चिरंजीवी योजना, सब्सिडी वाला सिलेंडर, मुफ्त बिजली आदि जैसे मुद्दों पर पूरा चुनाव लड़ते दिखे। इसके चलते कई दशकों बाद राजस्थान में रिवाज बदलते दिख रहा है और दो एग्जिट पोल के अनुसार, कांग्रेस को बीजेपी की तुलना में बढ़त है।
तीन दिसंबर के बाद तय होगा शिवराज-गहलोत का भविष्य
शिवराज सिंह चौहान और अशोक गहलोत, दोनों ही बीजेपी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। शिवराज मध्य प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और कांग्रेस से कई बार अकेले लड़ते हुए दिखाई दिए हैं, जबकि अशोक गहलोत भी राजस्थान में कई बार सीएम बने। तीन दिसंबर को आने वाले रिजल्ट में यदि एमपी में बीजेपी और राजस्थान में कांग्रेस की जीत होती है तो फिर शिवराज और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाना, दोनों ही दलों के लिए काफी मुश्किल होगा। दोनों को अगले पांच साल के लिए न सही, लेकिन कम से कम कुछ सालों के लिए तो मुख्यमंत्री पद देना ही होगा। इस जीत का ज्यादा श्रेय बीजेपी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को दिए जाने के बजाए, शिवराज और अशोक गहलोत को दिया जाएगा।
कई सालों तक मुख्यमंत्री रहने की वजह से ज्यादातर विधायक भी दोनों के पक्ष में ही दिखाई देते हैं। इस वजह से भी दोनों को हटाना आसान नहीं होने वाला। वहीं, यदि चुनावी नतीजे गहलोत और शिवराज के पक्ष में नहीं आते हैं तो फिर साइडलाइन करके नए नेताओं को कमान दी जा सकती है। राजस्थान में कांग्रेस के पास दूसरी पीढ़ी के नेताओं में सबसे आगे सचिन पायलट हैं, जबकि एमपी में बीजेपी के पास कई दिग्गज नेताओं की पूरी लिस्ट है।