आम चुनाव से पहले बने विपक्ष के INDIA गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को ही करारा झटका लगता दिख रहा है। एक तरफ अरविंद केजरीवाल ने पंजाब की सभी 13 सीटों पर लड़ने की दावेदारी पेश कर दी है तो वहीं टीएमसी महज दो सीटें ही कांग्रेस के लिए छोड़ने को तैयार है।
19 तारीख को INDIA अलायंस की चौथी मीटिंग होने जा रही है, जिसमें ममता बनर्जी सीट शेयरिंग पर भी बात करने का इरादा लेकर जा रही हैं। इसे लेकर टीएमसी के सूत्रों का कहना है कि वह इस दौरान प्रस्ताव रख सकती हैं कि हम कांग्रेस के लिए मालदा और बरहामपुर सीट छोड़ने के लिए तैयार हैं।
हालांकि ममता बनर्जी ने इसे लेकर कुछ भी कहने से फिलहाल इनकार किया है। उन्होंने दिल्ली के लिए फ्लाइट लेने से पहले कहा, ‘मैं अभी सीट शेयरिंग पर कुछ नहीं कह सकती। आपको 19 दिसंबर की मीटिंग के बाद ही पता चल पाएगा।’ टीएमसी ने जिन दो सीटों को छोड़ने के संकेत दिए हैं, उनमें से एक अधीर रंजन चौधरी की बरहामपुर सीट है। मुर्शिदाबाद जिले की इस सीट पर राज्य में सबसे ज्यादा 66 फीसदी मुस्लिम आबादी है। यहां से अधीर रंजन चौधरी 1999 से लगातार सांसद चुने जा रहे हैं।
इसके अलावा पड़ोस के मालदा जिले की साउथ मालदा सीट भी कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां से कांग्रेस के सांसद अबू हासिम खान चौधरी हैं। वह 2009 से लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कांग्रेस ने इन दो सीटों पर ही 2019 के इलेक्शन में जीत हासिल की थी। ऐसे में टीएमसी उसे यह कहकर इन दो सीटों को ऑफर कर सकती है कि आपने यहां जीत हासिल की थी, इसलिए हम छोड़ रहे हैं। अन्य सीटों पर हम मजबूती से लड़ेंगे और आप हमारा समर्थन करें। ममता बनर्जी ने पहले ही इस तरह के संकेत दिए थे और कहा था कि हमें हर राज्य में भाजपा के उम्मीदवार के मुकाबले एक साझा कैंडिडेट देने की रणनीति पर काम करना होगा।
दो सीटों के अलावा एक और ऑफर दे सकती हैं ममता
इसके अलावा उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों को अहमियत देनी होगी। जिस राज्य में जो क्षेत्रीय दल मजबूत है, उसे वहां प्रमुखता से सीटें देनी होंगी। ऐसे में इस बात पर कांग्रेस की चिंता बढ़ सकती है। कांग्रेस के लिए दो ही सीटों को स्वीकार करना आसान नहीं होगा, जो अपनी जमीन मजबूत करना चाहती है। टीएमसी के एक नेता ने कहा कि पार्टी की मीटिंग से यह पता चलता है कि ममता बनर्जी सीधे सोनिया और राहुल से कहेंगी कि वे दो सीटें ले लें। इसके अलावा वह मार्च अप्रैल में राज्यसभा के लिए अभिषेक मनु सिंघवी के समर्थन का भी ऑफर दे सकती हैं। यहां 2018 में भी सिंघवी ने कांग्रेस के समर्थन से ही जीत हासिल की थी।