आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को दी जाएगी फांसी, इश्क के जुनून में परिवार के 7 सदस्यों की ली थी जान
लखनऊ, यू०पी०। शबनम के अपराध को जघन्य मानते हुए अमरोहा जिला न्यायालय ने वर्ष 2010 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने भी इस सजा की पुष्टि की थी। यह पहली बार होने जा रहा है जब आजाद भारत में किसी महिला को फांसी दी जाएगी। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले की शबनम का अपराध ऐसा गंभीर है कि अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट में इस सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद शबनम ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भी पेश की थी जिसे भी नामंजूर कर दिया है। शबनम को घर के सात सदस्यों की बर्बरता पूर्वक हत्या करने का दोषी पाया गया है। प्रेम-संबंधों का विरोध करने पर बौखलाई इस युवती ने अपने परिवार के लोगों को पहले धोखे से बेहोश करने की दवा खिलाई और बाद में निर्दयतापूर्वक कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी।
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शबनम के इस अपराध को जघन्य मानते हुए अमरोहा जिला न्यायालय ने वर्ष 2010 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी। उसके बाद हाईकोर्ट ने भी इस सजा की पुष्टि की थी। इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2015 में खारिज कर दिया था। और अंत में राष्ट्रपति की ओर से भी 11 अगस्त 2016 को की दया याचिका को अब खारिज कर दिया गया था। महिलाओं को फांसी देने का इंतजाम केवल मथुरा में है, तो वहीं फांसी देने का इंतजाम किया गया है। फांसी देने के लिए मेरठ से जल्लाद को भी बुलाया गया है। मामले में शबनम के प्रेमी सलीम को भी फांसी की सजा सुनाई गई है।
क्या है पूरा मामला?
अमरोहा में दीवानी युवती ने वर्ष 2008 में अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने परिवार के ही 7 सदस्यों की कुल्हाड़ी से काट कर हत्या कर दी थी। युवती की शादी नहीं हुई थी और वह गर्भवती भी थी। युवती इस समय रामपुर जेल में है, जेल के सुपरिन्टेन्डेन्ट ने लड़की का डेथ वारंट जारी करने को अदालत को लिखा है। जेल में रहने के दौरान ही युवती को जेल में बेटा हुआ जिसे बुलंदशहर में कोई पाल रहा है।