DRDO का कारनामा, नई जनरेशन आकाश मिसाइल का टेस्ट सफल; क्यों कांपने लगे दुश्मन
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भारत ने शुक्रवार को नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल का सफल फ्लाइट टेस्ट किया। ओडिशा के तट पर स्थित चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से डीआरडीओ की ओर से यह टेस्ट किया गया। यह परीक्षण बहुत कम ऊंचाई पर उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्य के खिलाफ था।

इस दौरान वेपन सिस्टम के जरिए टारगेट को सफलतापूर्वक रोका गया और फिर नष्ट कर दिया गया। इस सफल फ्लाइट टेस्ट ने यूजर ट्रायल्स के लिए आगे का रास्ता दिखाया है। अधिकारियों ने कहा, ‘इससे स्वदेशी रूप से डेवलप रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर, लॉन्चर, मल्टी-फंक्शन रडार व कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ मिसाइल से लैस कंप्लीट वेपन सिस्टम के कामकाज को मान्यता मिली है।’

सिस्टम के प्रदर्शन को कैप्चर करने के लिए ITR की ओर से कई रडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाए गए थे। इनसे मिले डेटा के जरिए भी आकाश मिसाइल के सफल टेस्ट की पुष्टि होती है। इस मौके पर डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना (IAF), भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के सीनियर अधिकारी मौजूद रहे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सफल फ्लाइट टेस्ट के लिए डीआरडीओ, आईएएफ, पीएसयू और इंडस्ट्री की सराहना की है। उन्होंने कहा कि सिस्टम के सफल विकास से देश की वायु रक्षा क्षमताओं में और बढ़ोतरी होगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (DRDO) के सचिव और अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने भी आकाश-एनजी के सफल परीक्षण से जुड़ी टीमों को बधाई दी। चलिए जानते हैं नई जनरेशन की आकाश मिसाइल की खासियतें…

1. आकाश-एनजी सिस्टम अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली है जो उच्च गति, फुर्तीले हवाई खतरों को रोकने में सक्षम है।

2. आकाश मिसाइल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से डेवलप सिस्टम है और बीते एक दशक से अधिक समय से सर्विस में है। आकाश टीम की ओर से मिसाइल के कई एडवांस्ड वर्जन तैयार किए जा रहे हैं।

3. मध्य पूर्व में ऐसे कई देश हैं जिन्होंने आकाश हथियार प्रणाली की दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने इसकी क्षमताओं और परीक्षणों में भी रुचि ली है।

4. एक तरह जहां आकाश वेपन सिस्टम को DRO की ओर से स्वदेशी रूप से डिजाइन और डेवलप किया गया है, दूसरी ओर अन्य उद्योगों के साथ पब्लिक डिफेंस सेक्टर की ओर से इसे प्रोड्यूस किया गया है।

5. आकाश वेपन सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों से ऑर्डर मिले हैं। इसमें शामिल डीआरडीओ वैज्ञानिकों की ओर से इसे लगातार अपग्रेड भी किया जा रहा है। इसे लेकर दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व से अधिक ऑर्डर मिल सकते हैं।

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