CJI के कदम से कोर्टरूम में सब रह गए हैरान, चेयर छोड़ स्टूल पर क्यों जा बैठे जस्टिस चंद्रचूड़?
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सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की संविधान पीठ आज (मंगलवार, 09 अप्रैल) तीसरे दिन औद्योगिक शराब पर कर लगाने और उसे विनियमित करने की राज्य की शक्तियों से संबंधित मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे। खंडपीठ में उनके अलावा जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे लेकिन बहस के बीच सीजेआई चंद्रचूड़ ने अचानक सुनवाई रोक दी। उस वक्त केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील पेश कर रहे थे।

तब CJI ने उन्हें टोकते हुए कहा, “आपके युवा जूनियर वकील हर दिन लैपटॉप लेकर खड़े रहते हैं। मैंने कोर्ट मास्टर को कहा है कि वो आपके पीछे स्टूल लगा दे ताकि वो भी बैठ सकें।” इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि वो भी ये सुनवाई देख रहे हैं। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कोर्टरूम में मौजूद सभी वकीलों से कहा कि जो लोग इस केस से संबंधित नहीं हैं, वे इन युवा वकीलों के लिए कुर्सी खाली कर दें।

लंच के बाद जब दोबारा मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सभी यह देखकर हैरान रह गए कि सीजेआई डॉयस पर 9 जजों के बीच अपनी चेयर पर ना बैठकर नीचे युवा वकीलों के बीच आकर स्टूल पर बैठ गए। दरअसल, उनके ही निर्देश पर कोर्ट रजिस्ट्री ने युवा वकीलों के लिए लंच के दौरान कोर्टरूम में स्टूल लगवाए थे। सीजेआई ने खुद उन स्टूलों पर बैठकर देखा कि क्या वे युवा वकीलों के लिए सही है या नहीं। कहीं कोई दिक्कत तो नहीं है।

NDTV की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीफ जस्टिस इस बात से भी आश्वस्त हो जाना चाहते थे कि स्टूल लगने से कहीं सॉलिसिटर जनरल को खड़े होने और मुकदमे की पैरवी करने में कोई परेशानी तो नहीं होगी। सीजेआई के इस कदम ने कोर्टरूम में मौजूद सभी जजों समेत वकीलों को हैरान कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश की दरियादिली और उनके कदम पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “CJI उदारता के प्रतीक हैं। आज का उनका कदम न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि सभी अदालतों द्वारा अनुकरणीय है और सभी अदालतों को इसका पालन करना चाहिए।” मेहता ने कहा कि जूडिशियल सिस्टम में सर्वोच्च पद पर बैठा एक व्यक्ति बिना किसी के बताए भी युवा वकीलों की परेशानी के प्रति इतना असाधारण रूप से विचारशील है, यह प्रशंसनीय और आदर करने योग्य है। उन्होंने कहा कि सीजेआई की इस आत्मीयता के के लिए आज सभी युवा वकीलों के पास आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं थे। उन्होंने कहा, “मैं अभिभूत हूं।”

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