देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समर्थन देने का ऐलान किया है। कांग्रेस ने कहा है कि जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में दिल्ली में तबादलों और नियुक्तियों पर केंद्र के कार्यकारी आदेश का विरोध करेगी।पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने आज शाम संवाददाताओं से कहा, “कांग्रेस संसद में जारी दिल्ली अध्यादेश का विरोध करेगी।”पिछले शुक्रवार देर शाम केंद्र की मोदी सरकार ने एक अध्यादेश लाया था, जो सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के उस फैसले और आदेश को रद्द करता है, जिसमें कहा गया था कि चुनी हुई सरकार दिल्ली की बॉस है और अधिकारियों के तबादले पर राज्य सरकार का कंट्रोल रहेगा। इस फैसले के सात दिन बाद केंद्रे सरकार ने अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि तबादले का अधिकार उप राज्यपाल के पास ही रहेगा।
बता दें कि आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इससे पहले सभी विपक्षी दलों से इस मुद्दे पर सहयोग मांगा था। केजरीवाल ने कहा था कि अगर विपक्ष एकजुट रहता है तो 2024 में बीजेपी को हराने में मदद मिल सकती है। एक दिन पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने केजरीवाल से मुलाकात की थी और इस मुद्दे पर संसद में साथ देने का भरोसा जताया था।दरअसल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में अच्छे संबंध नहीं रहे लेकिन विपक्षी एकता और बीजेपी के खिलाफ लड़ाई की मुहिम को धार देने के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से पहले दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन ने कहा था कि केजरीवाल को अधिकारियों के साथ “दुर्व्यवहार” करने के बजाय सम्मानपूर्वक “शीला दीक्षित मॉडल” का पालन करना चाहिए।केजरीवाल ने कहा कि वह इस अध्यादेश के विरोध में देशभर की विपक्षी पार्टियों से मिलकर समर्थन मांगेंगे। माना जा रहा है कि 23 मई को केजरीवाल और ममता बनर्जी की मुलाकात होगी। इसके बाद 24 मई को मुंबई में उद्धव ठाकरे और 25 मई को मुंबई में ही शरद पवार से दिल्ली के मुख्यमंत्री मिलेंगे।