समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने बीएचयू में आईआईटी की छात्रा से सामूहिक बलात्कार के खिलाफ कथित रूप से प्रदर्शन करने वाले 13 विद्यार्थियों को निलंबित किए जाने ‘शर्मनाक’ बताते हुए निंदा की।
साथ ही यूपी सरकार से सवाल-जवाब भी किया। अखिलेश ने कहा भाजपा सरकार न्याय के लिए आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित कर क्या संदेश देना चाहती है। यादव ने बीएचयू में आईआईटी छात्रा के साथ पिछले साल नवंबर में सामूहिक बलात्कार की घटना के खिलाफ कथित तौर पर विरोध प्रदर्शन करने वाले 13 छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 15 से 30 दिनों की अवधि के लिए निलंबित किए जाने की कड़ी निंदा की। उन्होंने एक बयान में आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में अन्याय व अत्याचार चरम पर है और सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाता है और दोषियों को बचाने का काम किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, भाजपा सरकार वाराणसी आईआईटी, बीएचयू सामूहिक बलात्कार का विरोध करने वाले 13 छात्र-छात्राओं का निलंबन कर रही है। यह बेहद निंदनीय है। सरकार की शह पर विश्वविद्यालय की तानाशाही बेहद शर्मनाक है। सपा प्रमुख ने पूछा कि भाजपा सरकार अपराधियों को बचाने और न्याय के लिए आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित कर क्या संदेश देना चाहती है। उन्होंने दावा किया कि सभी आरोपी भाजपा के कार्यकर्ता हैं, इसीलिए यह सरकार उन्हें बचाने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। यादव ने कहा, मामला हाथरस में दलित बेटी के जबरन दाह संस्कार का रहा हो या बीएचयू में सामूहिक बलात्कार का मामला हो, इस सरकार में न्याय नहीं मिला।
सरकार ने आरोपियों को संरक्षण दिया जबकि पीड़िता के पक्ष में न्याय के लिए आवाज उठाने वालों पर कार्रवाई हो रही है। निलंबित विद्यार्थियों में विभिन्न छात्र संगठनों के सदस्य शामिल हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने निलंबन के कारणों के रूप में अनुशासनहीनता और शैक्षणिक वातावरण को बाधित करने का हवाला दिया। विश्वविद्यालय के सहायक जनसंपर्क अधिकारी (एपीआरओ) चंद्रशेखर के मुताबिक, बीएचयू द्वारा गठित स्थायी समिति के निष्कर्षों के आधार पर छात्र-छात्राओं को 15 से 30 दिनों की अवधि के लिए निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि निलंबन की अवधि के दौरान विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बीएचयू के विभिन्न छात्र समूहों के सदस्यों ने पिछले साल नवंबर में आईआईटी-बीएचयू की छात्रा के साथ कथित सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू किया था।