यूपी में योगी सरकार का मंगलवार की शाम दूसरा कैबिनेट विस्तार हो गया। सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर समेत चार विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। नए मंत्रियों में दो भाजपा और दो सहयोगी दलों के हैं।
भाजपा की तरफ से एमएलसी दारा सिंह चौहान और साहिबाबाद से विधायक सुनील शर्मा को मंत्री बनाया गया है। रालोद से अनिल कुमार को मंत्री बनाया गया है। ओपी राजभर, दारा सिंह चौहान और अनिल कुमार को कैबिनेट पद की शपथ दिलाई गई। सुनील शर्मा को राज्यमंत्री बनाया गया है। सीएम योगी की मौजूदगी में राजभवन के गांधी हाल में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सभी विधायकों को शपथ दिलाई। योगी 2.0 सरकार का यह दूसरा कैबिनेट विस्तार है। अब योगी के मंत्रिमंडल में 56 मंत्री हो गए हैं। फिलहाल मंत्रिमंडल में चार मंत्रियों की जगह अब भी खाली है।
ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान के मंत्री बनने की पिछले साल से ही चर्चा चल रही थी। दोनों के मंत्री बनने से लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्वांचल में फायदा मिलने की उम्मीद है। अखिलेश यादव के पीडीए की काट भी इन मंत्रियों से निकाला जा सकता है। ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान जहां पिछड़ी जाति से आते हैं। वहीं अनिल कुमार दलित समाज से हैं। सुनील शर्मा गाजियाबाद और पश्चिमी यूपी में बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। ऐसे में छोटे से मंत्रिमंडल विस्तार से ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सभी वर्गों को साधने की बड़ी कोशिश की है।
ओबीसी में भागीदारी बढ़ी
यूपी की ओबीसी जातियों में यादव के बाद सबसे ज्यादा राजभर, चौहान, पटेल बिरादरी के लोगों की संख्या मानी जाती है। राजभर और चौहान के मंत्री बनने से इन वर्गों को साधने में आसानी होगी। अनुप्रिया पटेल पहले से ही मोदी सरकार में मंत्री हैं। उनके पति आशीष योगी सरकार में मंत्री हैं। गंगा किनारे रहने वाले निषाद जाति के लोगों को संजय निषाद के जरिए पहले ही भाजपा अपने साथ जोड़ चुकी है।
ओपी राजभर
ओपी राजभर ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांशीराम की बसपा के साथ की थी। मायावती से खटपट के बाद बसपा छोड़कर अपनी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) बनाई थी। वैसे तो राजभर तीन दशक से ज्यादा समय से चुनावी राजनीति में हैं लेकिन पहली सफलता 2017 में भाजपा से गठबंधन के बाद हुआ था। वह खुद विधायक बने और उनकी पार्टी के चार विधायक विधानसभा पहुंचे। योगी की पहली सरकार में ओपी राजभर को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था। कुछ समय बाद योगी से खटपट के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।
इसके बाद राजभर ने पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन किया। इस बार भी राजभर विधायक चुने गए और उनकी पार्टी से छह नेता विधानसभा में पहुंच गए। चुनाव बाद ही उनकी अखिलेश यादव से भी खटपट हो गए और पिछले साल वह दोबारा एनडीए का हिस्सा बन गए।
ओपी राजभर के एनडीए में आने से पूर्वांचल की दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर बीजेपी को फायदा हो सकता है। विधानसभा चुनाव के दौरान सुभासपा और सपा के गठबंधन से भाजपा को बड़ा नुकसान पूर्वांचल में हुआ था। मऊ, आजमगढ़ और गाजीपुर जिले की सभी सीटें भाजपा हार गई थी। ऐसे में राजभर के आने से लोकसभा की दो दर्जन सीटों पर समीकरण ठीक करने में भाजपा को मदद मिलेगी।
दारा सिंह चौहान
दारा सिंह चौहान भी योगी की पहली सरकार में मंत्री थे। राजभर की तरह दारा सिंह चौहान ने भी अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बसपा से की थी। लोगों के बीच पकड़ के कारण वह पार्टी का एक महत्वपूर्ण चेहरा बन गए। 2015 में दारा सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले बीजेपी का साथ छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे।
घोसी से सपा के टिकट पर विधायक भी बने लेकिन वहां रह नहीं सके। सपा और विधायक दोनों सीटों से इस्तीफा देकर दोबारा भाजपा में आ गए। भाजपा ने घोसी से ही उपचुनाव में उतारा लेकिन हार गए। कुछ दिनों पहले ही उन्हें एमएलसी बनाया गया। दारा सिंह चौहान को साथ लाने के पीछे लोनिया समाज को साधने की बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है। दारा सिंह चौहान को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा।
अनिल कुमार
अनिल कुमार मूल रूप से सहारनपुर के गांव तहारपुर के रहने वाले हैं। इस समय वह शहर के अंकित विहार कॉलोनी में रहते हैं। मुजफ्फरनगर जिले की अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट पुरकाजी से अनिल कुमार रालोद के टिकट पर साल 2022 में विधायक बने थे। वह तब सपा में थे लेकिन रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ा था। 2017 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले 2012 के चुनाव में पुरकाजी सीट से ही अनिल कुमार बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। रालोद ने अनुसूचित जाति के मतदाताओं को साधने के लिए सुरक्षित सीट से विधायक अनिल कुमार का नाम मंत्री बनने के लिए आगे किया है। उन्हें जयंत चौधरी का करीबी माना जाता है।
सुनील शर्मा
साहिबाबाद विधानसभा सीट से सुनील शर्मा भाजपा के विधायक हैं। सुनील शर्मा तीसरी बार विधायक हैं। सबसे पहले 15वीं विधानसभा में वह गाजियाबाद की सीट से चुनकर विधायक बने थे। उसके बाद 17वीं और 18वीं विधानसभा में वह साहिबाबाद की सीट से चुनकर विधायक आए हैं। सुनील शर्मा की गिनती बड़े ब्राह्मण नेताओं में होती है। वहीं उनको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में शर्मा सबसे अधिक वोटो से जीते थे। इस दौरान उनका मार्जिन तकरीबन डेढ़ लाख वोटो का था। 2022 की विधानसभा चुनाव में भी सुनील ने सबसे अधिक वोटों से चुनाव जीता था। इस दौरान वह करीब 2 लाख 14 हजार से अधिक मार्जिन से जीते थे।