कौन हैं उमर अयूब, इमरान की पार्टी से पीएम पद के दावेदार; क्या शहबाज शरीफ के सामने बनेगी बात?
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पाकिस्तान में चुनावी नतीजे आने के बाद सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है। एक तरफ नवाज शरीफ की पार्टी अन्य दलों के साथ समझौते के बाद शहबाज शरीफ को फिर से प्रधानमंत्री बनाने की तैयारी में है।

वहीं, जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों की संसद में संख्या ज्यादा है। पीटीआई की तरफ से उमर अयूब को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने की चर्चा है। उमर अयूब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति रहे अयूब खान के पोते हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान में आठ फरवरी को हुए चुनाव में खंडित जनादेश आया था और चुनाव में धांधली के आरोप लगे थे।

उमर अयूब के बारे में
उमर अयूब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और फील्ड मार्शल अयूब खान के पोते हैं। उन्होंने 2002 के आम चुनाव से पहले अपने पिता गौहर अयूब खान के साथ पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) ज्वॉइन की थी। इसी साल वह नेशनल असेंबली के चुनाव में उतरे थे और शौकत अजीज के कैबिनेट में वित्त राज्यमंत्री का पद संभाला था। अपने कार्यकाल के दौरान वह नैचुरल गैस, बिजली और सड़कों के कई प्रोजेक्ट्स लेकर आए थे।

2018 में पीटीआई से जुड़े थे
2008 में पीएमएल-एन के सरदार मुश्ताक खान के खिलाफ हार का सामना करने के बावजूद, उमर अयूब 2015 में एक संक्षिप्त अवधि के लिए विधानसभा में लौट आए। तब पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने उनके निर्वाचन क्षेत्र में फिर से चुनाव का आदेश दिया था। बाद में मां की बीमारी के चलते उन्होंने चुनाव से दूरी बनाई थी। फरवरी 2018 में अयूब ने इमरान खान के साथ जाते हुए पीटीआई ज्वॉइन कर ली। उन्होंने 2018 के आम चुनावों में पीटीआई उम्मीदवार के रूप में एनए -17 (हरिपुर) निर्वाचन क्षेत्र से नेशनल असेंबली के लिए फिर से चुनाव सफलतापूर्वक सुरक्षित किया। इसके बाद, उन्हें प्रधानमंत्री इमरान खान के संघीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।

ऐसा है शहबाज का प्लान
पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग के अनुसार, छह दलों -पीएमएल-एन, पीपीपी, एमक्यूएम-पी, पीएमएल-क्यू, आईपीपी (इस्तेकाम-ए-पाकिस्तान पार्टी) और बलूचिस्तान आवामी पार्टी (बीएपी) द्वारा जीती गईं कुल सीट संख्या 152 है। इन सभी ने शहबाज शरीफ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने की अपनी योजना की घोषणा की है। यह साफ तौर पर दिखता है कि ये दल 60 महिला और 10 अल्पसंख्यक सीट अतिरिक्त मिलने के बाद केंद्र में सरकार बनाने के लिए आवश्यक 169 के आंकड़े को आसानी से हासिल कर लेंगे। माना जाता है कि पीएमएल-एन को सेना का समर्थन हासिल है।

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