एकनाथ शिंदे का गुट ही असली शिवसेना है। महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। उद्धव गुट ने स्पीकर के उस फैसले पर आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि एकनाथ शिंदे गुट पर विधायकों की संख्या अधिक है।
इसके अलावा शिवसेना के संविधान में संगठन का जो ढांचा है, उसके मुताबिक भी एकनाथ शिंदे ही शिवसेना के नेता हैं।
वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे गुट ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने इस अर्जी में मांग की है कि यदि हम ही असली शिवसेना हैं तो फिर उद्धव ठाकरे खेमे के विधायकों की सदस्यता को रद्द क्यों नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जब हमारा गुट ही असली शिवसेना है तो फिर आदेशों का पालन न करने वाले उद्धव गुट के विधायकों पर ऐक्शन क्यों नहीं होता।
पिछले सप्ताह स्पीकर राहुल नार्वेकर ने जो फैसला सुनाया था, उसमें कहा था कि हम 1999 के शिवसेना के संविधान के आधार पर ही फैसला सुना रहे हैं। उनका कहना था कि शिवसेना ने 2018 में जो संविधान संशोधन किया था, वह चुनाव आयोग के पास नहीं है। उसकी वेबसाइट पर 1999 का संविधान ही दिख रहा है। उसके मुताबिक उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे के खिलाफ ऐक्शन लेने का अधिकार ही नहीं था। इस तरह वह अब भी शिवसेना के सदस्य हैं और उनके साथ ज्यादा विधायक हैं। ऐसे में वही असली शिवसेना का नेतृत्व कर रहे हैं।
इसी फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार दोपहर को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दी। यही नहीं उन्होंने शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहराने वाली अर्जी खारिज किए जाने के फैसले को भी चुनौती दी है। बता दें कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत कर ली थी और 40 विधायकों के साथ वह भाजपा के साथ चले गए थे। इसके अलावा करीब एक दर्जन सांसद भी उनके साथ हैं। उनकी इस ताकत को ही आधार मानते हुए स्पीकर ने एकनाथ शिंदे गुट के फेवर में फैसला सुनाया है। इससे पहले चुनाव आयोग से भी उद्धव ठाकरे को झटका लगा था।
वहीं स्पीकर नार्वेकर के फैसले को उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का अपमान और लोकतंत्र की हत्या करार दिया था। उनका कहना था कि यदि हमारा संविधान ही मान्य नहीं है तो फिर हमें अयोग्य क्यों नहीं करार दिया गया।