भारत और पाकिस्तान ने सोमवार को एक-दूसरे के साथ परमाणु ठिकानों की लिस्ट साझा की। यह वो परमाणु प्रतिष्ठान हैं, जिन पर दुश्मनी की हालत में हमला नहीं किया जा सकता। दोनों देशों के बीच संबंध पिछले कुछ अरसे से सामान्य नहीं हैं।
इसके बावजूद पिछले 1992 से शुरू हुई परंपरा इस साल भी जारी रही। विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में इसकी जानकारी दी। इसके मुताबिक नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक चैनलों के माध्यम से परमाणु प्रतिष्ठानों की सूचियों का आदान-प्रदान किया गया। परमाणु ठिकानों और प्रतिष्ठानों पर हमले को रोकने संबंधी समझौते के प्रावधानों के अनुरूप इनका पालन किया गया। दोनों पक्ष परमाणु प्रतिष्ठानों के विवरण का खुलासा नहीं करते हैं।
1988 में हुआ था समझौता
इस समझौते पर 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षर किए गए थे और 27 जनवरी 1991 को यह अमल में आ गया। इसमें कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान को हर कैलेंडर वर्ष की पहली तारीख को समझौते के तहत आने वाले परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के बारे में एक-दूसरे को सूचित करना चाहिए। इस तरह से यह 33वां मौका था, जब दोनों देशों से इस तरह की लिस्ट एक-दूसरे से साझा की। पहली बार यह 1 जनवरी 1992 को हुआ था। गौरतलब है कि साल 2008 में मुंबई हमले के बाद से दोनों देशों के बीच बातचीत बंद है।
ऐसे हैं दोनों देशों के संबंध
इस हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दस सदस्यों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसपैठ की थी। इसके बाद इन लोगों ने यहां पर कत्लेआम मचाया था, जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी और तमाम अन्य लोग घायल हो गए थे। हालांकि बीच-बीच में दोनों देशों के राजनीतिज्ञों ने संबंध बहाल करने की कोशिशें कीं, लेकिन बीच-बीच में आतंकी हमलों ने इन कोशिशों को पटरी से उतार दिया। दोनों देशों के संबंध साल 2019 में काफी ज्यादा खराब हो गए थे, जब पुलवामा हमला हुआ था। इस हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद को दोषी ठहराया गया था।