देवताओं की मूर्तियों की क्यों की जाती है प्राण प्रतिष्ठा?
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 राम की नगरी अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर देशभर के हिंदुओं के लिए गौरपूर्ण बात है। इस भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को होगा।

इससे पहले अन्य धार्मिक अनुष्ठान 17 जनवरी से आरंभ हो जाएंगे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला अपने राजमहल में विराजित होंगे।

जिसमे देश के कई बड़े और नामी लोग शामिल होंगे। वही इस प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री मोदी भी शिरकत करेंगे और इन्हें रामलला की पहली आरती का सौभाग्य भी प्राप्त होगा। ऐसे में अधिकतर लोग जानना चाहते हैं कि आखिर देवी देवताओं या मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है तो आज हम इसी विषय पर बात करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

क्यों जरूरी है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा-
जानकारों के अनुसार मंदिर या फिर घर में मूर्ति की स्थापना के समय मूर्ति को जीवित करने की विधि को प्राण प्रतिष्ठा का नाम दिया गया है। हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा का खास महत्व होता है। माना जाता है कि मूर्ति स्थापना के समय प्राण प्रतिष्ठा करना जरूरी होता है। जिसके बाद ही मूर्ति रूप में उस्थिति देवी देवताओं की पूजा आराधना की जाती है।

प्राण प्रतिष्ठा का काम एक अनुष्ठान के द्वारा किया जाता है जिसमें भजन और मंत्रों के पाठ के बीच प्रतिमा को पही बार स्थापित किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा का शाब्दिक अर्थ जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना होता है। ऐसा माना जाता है कि बिना प्राण प्रतिष्ठा के किसी भी मूर्ति को पूजा के योग नहीं माना जाता है। बल्कि इसे निर्जीव मूर्ति माना जाता है। प्राण प्रतिष्ठा द्वारा मूर्ति में शक्ति का संचार होता है जिससे प्रतिमा देवता में बदल जाती है।

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