छत्तीसगढ़ में विष्णु, मध्य प्रदेश में मोहन के बाद भाजपा ने राजस्थान में भजन को चुना है। भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने ब्राह्मण कार्ड खेला है, जिसका असर राजस्थान के अलावा उत्तर भारत समेत देश के कई राज्यों में देखने को मिल सकता है।
पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश समेत उत्तर भारत के किसी भी राज्य में अब तक ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं था। ऐसे में भाजपा ने राजस्थान में भजनलाल शर्मा को कमान देकर एक संदेश देने की कोशिश की है। यूपी, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में ब्राह्मणों की अच्छी खासी आबादी है।
सवर्णों का वोट भाजपा को मिलता रहा है और इसमें भी ब्राह्मणों का तो करीब 90 फीसदी वोट भाजपा के खाते में ही जाता रहा है। 2022 में यूपी में योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों की नाराजगी के भी कयास लगाए गए थे, लेकिन भाजपा को ब्राह्मणों ने 95 फीसदी से ज्यादा वोट दिए। इस तरह किसी राज्य में सीएम जैसा अहम पद न मिलने के बाद भी ब्राह्मणों का समर्थन लगातार भाजपा को मिल रहा था। माना जा रहा है कि भाजपा ने अब ब्राह्मणों को साथ बनाए रखने और उनकी नाराजगी के कयासों को दूर करने के लिए ही यह कदम उठाया है।
राजस्थान में 33 साल बाद ब्राह्मण सीएम, यूपी में लगे थे उपेक्षा के आरोप
राजस्थान की ही बात करें तो यहां 1990 में हरदेव जोशी के सत्ता से बाहर होने के बाद पहली बार कोई ब्राह्मण सीएम बना है। तब से अब तक करीब 34 सालों का वक्त गुजर चुका है। इसके अलावा यूपी, मध्य प्रदेश, हरियाणा और बिहार में भी दशकों से कोई ब्राह्मण नेता सीएम नहीं रहा है। इन आंकड़ों का जिक्र करते हुए अकसर ब्राह्मणों की उपेक्षा के आरोप भी लगते रहे हैं। अब भाजपा ने उस शिकायत को दूर करने की कोशिश की है और इसका सीधा असर कई राज्यों में देखने को मिलेगा।
यूपी में दूसरे नंबर पर ब्राह्मणों की आबादी, कई राज्यों में है बड़ा असर
उत्तर प्रदेश में जाटवों की सबसे ज्यादा 12 फीसदी आबादी के बाद दूसरे नंबर पर ब्राह्मण ही हैं, जो 10 फीसदी हैं। इसके अलावा राजस्थान में ही 7 पर्सेंट ब्राह्मण हैं। हिमाचल प्रदेश में भी ब्राह्मणों की 18 फीसदी के करीब आबादी है। मध्य प्रदेश में भी 6 फीसदी के करीब संख्या ब्राह्मण बिरादरी है। इस लिहाज से एक बड़ी संख्या ब्राह्यणों की और उनका एकमुश्त वोट भाजपा पाती रही है। ऐसे में समुदाय को लुभाए रखने के लिए कोई पद देना जरूरी हो गया था। इस तरह भाजपा ने 2024 के चुनाव से पहले पिछड़ा, आदिवासी और सवर्ण सभी समाज के लोगों को साथ लेकर चलने का संदेश दिया है।