दिल्ली में कथित शराब घोटाले को लेकर घिरी आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक और मोर्चा खोल दिया है। भाजपा ने अब दिल्ली जल बोर्ड में घोटाले का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमलावर है।
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एलजी वीके सक्सेना के अलावा सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) को लेटर लिखकर शिकायत की और जांच की मांग की। उधर, आम आदमी पार्टी का कहना है कि दिल्ली सरकार पहले ही इसकी शिकायत कर चुकी है और केंद्र सरकार ऐक्शन नहीं ले रही है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि यदि कुछ गलत हुआ है तो वह अफसरों ने किया है, मंत्रालय का लेनादेना नहीं है।
भाजपा का दावा है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) को अपग्रेड करने के कामकाज में गड़बड़ी हुई है, जिसे आप सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली जल बोर्ड ने अंजाम दिया। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एलजी और सीबीआई को लिखे लेटर में टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने इसमें लिखा है, ‘सिंगल कोटेशन के आधार पर एक कंस्लटेंट ने एस्टीमेट तैयार किया। बाजार मूल्य से अधिक का एस्टीमेट तैयार किया गया।’ भाजपा का कहना है कि 10 एसटीपी को अपग्रेड करने की अनुमानित लागत 1508 करोड़ रुपए थी, जबकि 1938 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया।
भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि 10 एसटीपी को अपग्रेड करना था, जिसमें पांच का क्षमता विस्तार भी करना था। लेकिन डीपीआर केवल 2 का ही बनाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि एल-1 की बोली 392 करोड़ की लगाई थी, लेकिन इसे कम करने की बजाय बढ़ाकर 408 करोड़ रुपए कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अनुमानित लागत से अधिक पैसे सरकार ने दिए ताकि उसे इसमें कमीशन मिले। सचदेवा ने एलजी वीके सक्सेना से ठेकों को रद्द करने और सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।
आप ने कहा- जो हुआ अफसरों ने किया
आम आदमी पार्टी ने एक बयान जारी करके कथित गड़बड़ी का ठीकरा अफसरों पर फोड़ा है। पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘बीजेपी आराप लगा रही है कि कुछ अधिकारी ने दिल्ली जल बोर्ड में टेंडर नियमों का उल्लंघन किया। दिल्ली सरकार शिकायत के आधार पर पहले ही दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग से कहा है कि दोषी अधिकारियों की पहचान की जाए, लेकिन भी तक कोई ऐक्शन नहीं लिया गया।’ बयान में मंत्री को पूरी प्रक्रिया से अलग बताते हुए कहा गया, ‘टेंडर प्रक्रिया में मंत्री की कोई भूमिक नहीं होती है, इसे संबंधित अधिकारी अंजाम देते हैं। यह सब जानते हैं कि जीएनसीटीडी ऐक्ट चुनी हुई सरकार को ऐक्शन लेने का अधिकार नहीं देता है। लेकिन यदि कुछ गड़बड़ी हुई है तो हम एलजी से अपील करेंगे कि वह सख्त ऐक्शन लें।’