सांसदों ने शुक्रवार को नए संसद भवन में साइबर सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और बैंकों से जनता की वित्तीय संपत्तियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाने का आह्वान किया। सांसदों ने देश में साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और इसके लिए ‘साइबर चेतना सूचकांक’ विकसित करने का आह्वान किया।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी प्रबंधन पर राज्यसभा की समिति की एक बैठक आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य एन डी गुप्ता की अध्यक्षता में हुई जिसमें मंत्रालय के सचिव ने साइबर सुरक्षा के मुद्दों और मंत्रालय तथा उसके तहत आने वाले संगठनों के तौर तरीके पर सदस्यों के समक्ष एक प्रस्तुति दी।
समिति की बैठक को सदस्यों ने संबोधित किया और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक के शीर्ष अधिकारियों के विचारों को सुना। इस दौरान एक प्रस्तुति भी दी गई जिसमें साइबर सुरक्षा बढ़ाने और संसद के नए भवन को सुरक्षित करने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में बताया गया। समिति के सदस्यों ने अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताओं और प्रश्नों को उठाया। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव और पंजाब नेशनल बैंक के प्रतिनिधियों ने भी नियामक ढांचे और साइबर सुरक्षा और डिजिटल पहचान/डिजिटल भुगतान के लिए तंत्र को लागू करने पर उनके द्वारा किए जा रहे उपायों और इसे और मजबूत करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर अपने विचार व्यक्त किए।
सूत्रों ने कहा कि समिति के सदस्यों ने बैंक के शीर्ष अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि जनता की वित्तीय संपत्तियां सुरक्षित रहें। उन्होंने इससे जुड़े मुद्दों पर कई सवाल भी पूछे। सूत्रों ने बताया कि साइबर सुरक्षा में सेंध और धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के बीच समिति निकट भविष्य में निजी बैंकों के शीर्ष अधिकारियों को बुला सकती है और सदस्य जल्द ही मुंबई स्थित बैंक मुख्यालय का दौरा करेंगे ताकि इस संबंध में बैंकों द्वारा उठाए गए कदमों की जांच की जा सके।
अब तक, पैनल ने भारतीय स्टेट बैंक और पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों को बुलाया है और इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को उठाया है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा नए संसद भवन में संसद सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों की भी अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई और उन्होंने इस मुद्दे पर सदस्यों की चिंताओं का जवाब दिया।