बिहार के लगभग 94 लाख परिवारों को नीतीश सरकार 2-2 लाख रुपये देने जा रही है। राज्य में कराए गए जातिगत एवं आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा यह घोषणा की गई थी।
राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब इस योजना लागू हो गई है। इसका नाम बिहार लघु उद्यमी योजना है। इसके तहत गरीब परिवारों को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार की ओर से दो लाख रुपये की मदद दी जाएगी। इसका लाभ जनरल, एससी, एसटी, ओबीसी, ईबीसी सभी वर्गों के गरीबों को मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए जल्द ही आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। आवेदन मिलने के बाद लॉटरी के जरिए लाभुकों का चयन किया जाएगा।
उद्योग विभाग ने लघु उद्यमी योजना का संकल्प पत्र जारी किया है। इसके लिए आवेदन, चयन और आवंटन के संबंध में मार्गदर्शिका तैयार की जा रही है। उसमें आवेदन की प्रक्रिया से लेकर लाभुकों के चयन तक पूरी जानकारी होगी। अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक इस योजना के लिए पात्र परिवार ऑनलाइन आवेदन करेंगे। उद्योग विभाग की वेबसाइट या अन्य किसी पोर्टल पर आवेदन का लिंक डाला जाएगा।
94 लाख परिवारों को पांच साल के अंदर मिलेंगे दो लाख रुपये
जाति एवं आर्थिक गणना के मुताबिक बिहार में 94 लाख 33 हजार 312 परिवार ऐसे हैं जिनकी मासिक आय 6000 रुपये से कम है। ऐसे परिवारों को सरकार ने गरीब की श्रेणी में रखा है। इन्हीं परिवारों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा। सभी 94 लाख परिवारों को एक साथ पैसा नहीं मिलेगा। पांच साल में अलग-अलग करके सरकार योजना की राशि सभी परिवारों तक पहुंचाएगी।
जाति गणना रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सामान्य वर्ग के कुल परिवारों में से 25.09 फीसदी, पिछड़ा वर्ग में से 33.16 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में से 33.58 फीसदी, अनुसूचित जाति में से 42.93 फीसदी और अनुसूचित जनजाति में से 42.70 फीसदी परिवार गरीब हैं। हर परिवार से एक व्यक्ति को ही इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
लॉटरी से होगा लाभार्थियों का चयन
विभाग की ओर से ऑनलाइन आवेदन लेने के बाद कंप्यूटर लॉटरी के जरिए लाभार्थियों का चयन किया जाएगा। इस तरह अलग-अलग समय में लॉटरी निकालकर पांच साल में सभी परिवारों को इस योजना का लाभ दे दिया जाएगा। सरकार का उद्देश्य है कि गरीब परिवार का एक व्यक्ति इस राशि से उद्यम स्थापित कर रोजगार प्राप्त करे। इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। स्वरोजगार एवं विकास योजनाओं के लिए अन्य सरकारी विभागों में चल रही कल्याणकारी योजनाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा।