रामचरित मानस की चौपाई ढोल गंवार शुद्र पशु नारी…को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य को लखनऊ हाईकोर्ट की नसीहत एक दिन पहले ही सामने आई थी। इसके बाद भी स्वामी प्रसाद मानने को तैयार नहीं है।
एक बार फिर इसे लेकर मोर्चा खोल दिया है। इसे लेकर स्वामी प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर जो बातें लिखी हैं उनका इशारा साफ है कि वह कोर्ट की बातों और नसीहत से संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि स्वामी प्रसाद ने अपनी पोस्ट में कोर्ट का कोई जिक्र तो नहीं किया है लेकिन उनका किस पर निशाना है, इसे लेकर तमाम चर्चाएं हैं।
स्वामी प्रसाद ने एक्स पर लिखा कि ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी! सकल ताड़ना के अधिकारी! की व्याख्या करने वाले कुछ लोग कहते हैं ऐसा समुद्र ने कहा, यानी समुद्र भी बोलता है! यदि ऐसा पढ़े-लिखे, बुद्धिजीवी कहेंगे तो ढोंग, ढकोसला, पाखंड व आडंबर तो बढ़ेगा ही बढ़ेगा, साथ ही साथ समस्त शूद्र समाज (एसटी, एससी, ओबीसी) व महिला समाज पर मारने-पीटने, प्रताड़ित करने व जुल्म-ज्यादती, अत्याचार की घटनाएं भी बढ़ेंगी। कोई भी कवि, लेखक, रचनाकार व व्याख्याता कल्पना के आधार पर धर्म की दुहाई देकर किसी को भी नीच-अधम कहने, गाली देने, मारने-पीटने, प्रताड़ित करने और भेदभाव पूर्ण घृणित कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता है।