आजम खान की सियासत खत्‍म? कभी सूबे में बोलती थी तूती; जानें कैसे आए अर्श से फर्श पर
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बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में अब एक बार फिर उनकी सियासत के खात्मे की बात की जाने लगी है।

वैसे आजम खान के सितारे पिछले कुछ वर्षों से इतने गर्दिश में हैं कि फिलहाल किसी को सियासत में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य के कमबैक की उम्मीद भी नज़र नहीं आती। लेकिन आजम खान के हालात हमेशा से ऐसे नहीं थे। एक जमाना था जब सूबे में आजम खान की तूती बोलती थी। सूबे में जब कभी समाजवादी पार्टी की हुकूमत होती तो उसकी असली चाबी आजम के हाथ में ही रहती थी। उस दौर में भी आजम मीडिया की सुर्खियों में होते थे और भी हैं लेकिन तब उनके सुर्खियों की वजह अब से काफी जुदा थी।

आजम अपनी तकरीरों से जलसों में तालियां बटोरते थे लेकिन कभी-कभी उनकी जुबान सुनने वालों को इस कदर जहरीली लगती कि सत्ताधारी समाजवादियों के लिए सवालों का पहाड़ खड़ा हो जाया करता था। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के सबसे घनिष्ठ मित्रों में शुमार किए जाने वाले आजम की गिनती सूबे के सबसे बड़े मुस्लिम नेताओं में होती थी। राजनीति के जानकार बताते हैं कि इसी वजह से मुलायम सिंह आजम की तल्ख बातों का भी कभी जवाब नहीं दिया करते थे। पार्टी में अमर सिंह से उनकी अदावत के बीच एक वक्त ऐसा आया था जब आजम, अमर के साथ-साथ मुलायम पर भी तंज कसने में कोताही न बरतते थे लेकिन उस दौर में भी मुलायम ने कभी उनकी बातों का जवाब नहीं दिया।

लंबे समय तक रामपुर का प्रतिनिधि करने वाले, अपनी पत्नी को विधानसभा और संसद में और बेटे को विधानसभा में पहुंचा देने की ताकत रखने वाले आजम खान के सियासी हालात बद से बदतर हो चले हैं। आज की तारीख आजम परिवार का कोई भी सदस्य न विधानसभा में है न संसद में। रामपुर हाथ से निकल चुका है। ऐसे हालात में भी समाजवादी पार्टी उनका साथ देने की बात कर रही है तो शायद पार्टी में उन्हें लेकर उम्मीदों का सिलसिला अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ हो। जानकार बताते हैं कि आजम खान और उनका परिवार भले सियासत से बाहर नज़र आ रहा हो लेकिन रामपुर की सियासत आने वाले वक्त में भी प्रभावित करने की स्थिति में तो रहेगा ही।

आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला को बुधवार की दोपहर अदालत ने अब्दुल्ला के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात-सात साल की सजा सुना दी। इसके साथ ही तीनों को पुलिस ने हिरासत में ले जेल भेज दिया। आजम परिवार और उनके समर्थक परेशान हैं। अभी आजम पर कई और केस सजा के मुहाने पर खड़े हैं। चाहे दो पैनकार्ड का केस हो या फिर वक्फ की फर्जी डीड बनाकर शत्रु संपत्ति कब्जाने का केस। आजम पर आरोपों की फेहरिश्त बहुत लंबी है।

सियासी सफर पर एक नज़र
आजम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति करते हुए सियासत में आए थे। 1977 में उन्होंने सियासी दुनिया में पहला कदम रखा। आजम ने रामपुर विधानसभा सीट से पहला चुनाव लड़ा तो हार मिली लेकिन उसके बाद वह लगातार 10 बार यहां से चुने जाते रहे। 1980 से 1996 तक वह लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। हालांकि 1996 में कांग्रेस के अफरोज अली खां ने उन्हें चुनाव हरा दिया। आजम फिर यहां से जीते और विधायक बने।

साल-2019 में आजम ने लोकसभा चुनाव जीता और संसद में पहुंचे। उन्होंने रामपुर सीट से इस्तीफा देकर यहां हुए अपने उपचुनाव में अपनी पत्नी तजीन फात्मा को लड़ाया। तजीन यहां से जीतकर विधानसभा पहुंच गईं। साल-2022 में आजम सीतापुर की जेल में रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़े और एक बार फिर यहां से जीत दर्ज की। इधर, आजम पर कानूनी शिकंजा कसता ही चला गया और सियासी दुनिया में भी लगातार निराशा मिलने लगी। आजम ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया तो इस सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुईं। इस सीट से बीजेपी के घनश्याम लोधी जीत गए। वहीं 2022 के अक्टूबर में आजम को सजा होने पर रामपुर विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने जीत हासिल की। सियासी दुनिया में आजम का किला ढहने की खबर फैली और उस जगह पर बीजेपी अपनी फतह का एलान कर दिया। एक के बाद मामलों में मिल रही सजा ने अब उनके सियासी सफर पर बड़ा सा ग्रहण लगा दिया है।

आजम पर दर्ज मुकदमे
सियासत में आजम खान का बुरा वक्त तब शुरू हुआ जब यूपी में 2017 में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। जानकार कहते हैं कि सरकार बनते ही आजम उसके निशाने पर आ गए। आजम की घेराबंदी कुछ यूं शुरू हुई कि एक के बाद एक मुकदमे दर्ज होते चले गए। आज की तारीख में आजम के खिलाफ सौ से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। उनके खिलाफ रामपुर ही नहीं, बदायूं, मुरादाबाद में भी केस हैं। उधर, ईडी मनी लांड्रिंग मामले में जांच कर रही है। एसआईटी जलनिगम भर्ती घोटाले में रिपोर्ट दे चुकी है। आने वाले वक्त में आजम को कई अन्य मुकदमों में अदालती फैसलों का सामना करना है।

विवादों में रहे आजम
आजम खान अपनी सियासत की शुरुआत से ही विवादों में रहे हें। उन पर बदायूं की एक सभा में भारत माता को डायन कहने का आरोप लगा था। इस आरोप के बाद आजम देश भर में लोगों की आलोचना के पात्र बने थे। हालांकि आजम ने कई बार इस पर सफाई भी दी। यह भी कहा कि उनकी बात के गलत मतलब निकाले गए।

आजम पर मुकदमों की स्थिति

102 मुकदमों में नामजद आरोपी हैं आजम

01 केस में नामजदगी पायी गई झूठी

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