जजों की नियुक्ति प्रक्रिया और अधिक होगी पारदर्शी, कॉलेजियम विवाद के बीच CJI चंद्रचूड़ का बड़ा बयान
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कॉलेजियम सिस्टम पर लंबे समय से जारी विवाद के बीच चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी हो जाएगी।

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड निर्धारित किए जाएंगे। सीजेआई ने कहा कि सेंटर फॉर प्लानिंग एंड रिसर्च ने देश के उन शीर्ष न्यायाधीशों का आकलन करने के लिए एक व्यापक मंच पर काम करना शुरू कर दिया है जो नियुक्तियों के लिए पात्र हैं।

सीजेआई ने बताया कि मूल्यांकन न्यायाधीशों पर उपलब्ध आंकड़ों और उनके द्वारा दिए गए निर्णयों के आधार पर किया जाएगा। ‘इंडिया टुडे’ के अनुसार, डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंडों के साथ एक डोजियर तैयार किया जाएगा। शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए देश के शीर्ष 50 न्यायाधीशों का मूल्यांकन किया जाएगा।

बता दें कि लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम को आलोचना का सामना करना पड़ा है। तीन दशक पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की कथित तौर पर पर्याप्त पारदर्शी और जवाबदेह नहीं होने के कारण आलोचना की गई है। पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली में सुधार की मांग उठ रही है और कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली में तालमेल नहीं है। इससे पहले, सीजेआई ने कहा था कि लोकतंत्र में कोई भी संस्थान पूरी तरह 100 फीसदी परफेक्ट नहीं होता है।

डिजिटल माध्यम से सुनवाई की स्थिति बताने को कहा
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी उच्च न्यायालयों और कुछ न्यायाधिकरणों से इस बात का जवाब देने को कहा कि उन्होंने मामलों की सुनवाई के ‘हाइब्रिड’ तरीके को खत्म कर दिया है या नहीं। ‘हाइब्रिड’ से तात्पर्य है कि वकीलों और वादियों के पास किसी मामले में अदालत में स्वयं पेश होने के अलावा वीडियो-कांफ्रेंस के जरिये पेशी का भी विकल्प भी होता है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के महापंजीयकों और राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी), राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) एवं राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के पंजीयकों को नोटिस जारी कर उनसे एक हलफनामा दाखिल करने को कहा।

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