Chandrayaan-3 को लेकर ISRO चीफ सोमनाथ का आया बयान, सुनाई ये बड़ी खुशखबरी
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चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने के बाद चंद्रयान-3 लगातार वहां से अहम जानकारियां भेज रहा है। चंद्रयान-3 को चांद पर पहुंचे एक हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है और अब तक चांद की फोटोज, वीडियो, सल्फर आदि समेत तमाम रहस्यों से पर्दा उठा चुका है।

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान अपना काम कर रहे हैं। प्रज्ञान रोवर चांद पर 15 मीटर दूर तक जा चुका है। इस बीच, चंद्रयान-3 को लेकर इसरो चीफ एस सोमनाथ का ताजा बयान सामने आया है। उन्होंने गुड न्यूज देते हुए कहा है कि सबकुछ ठीक तरीके से चल रहा है।

चंद्रयान-3 मिशन पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, ”सब कुछ ठीक काम कर रहा है…सारा डेटा बहुत अच्छे से आ रहा है। सब कुछ अच्छे से काम कर रहा है। हमें उम्मीद है कि 14 दिनों के अंत तक हमारा मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाएगा।” उल्लेखनीय है कि इसरो का यह मून मिशन 14 दिनों का है। लैंडिंग के 14 दिनों तक प्रज्ञान को चांद के दक्षिणी छोर पर जानकारियां इकट्ठी करनी थी और फिर उसे इसरो कमांड सेंटर के पास भेजनी थी। एस सोमनाथ ने गुरुवार को खुशखबरी देते हुए बताया है कि अभी तक का पूरा मून मिशन सही ढंग से काम कर रहा है।

रोवर के अन्य उपकरण ने भी सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की
भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान पर लगे एक अन्य उपकरण ने एक अन्य तकनीक के माध्यम से क्षेत्र में भी सल्फर की उपस्थिति की पुष्टि की है। भारतीय अंतरक्षि अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को कहा, ”चंद्रयान-3 मिशन: इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोग। रोवर पर एक अन्य उपकरण एक अन्य तकनीक के माध्यम से क्षेत्र में सल्फर (एस) की उपस्थिति की पुष्टि करता है। अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (एपीएक्सएस) ने एस के साथ-साथ अन्य छोटे तत्वों का भी पता लगाया है।ह्व इसरो ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा,”सीएच-3 की यह खोज वैज्ञानिकों को क्षेत्र में सल्फर (एस) के स्रोत के लिए नए स्पष्टीकरण विकसित करने के लिए मजबूर करती है: आंतरिक, ज्वालामुखीय, उल्कापिंड।” इसरो ने कहा,ह्ल दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा की मट्टिी और चट्टानें किससे बनी हैं, जहां चंद्रयान -3 उतरा था और यह अन्य उच्चभूमि क्षेत्रों से कैसे अलग है। ये वे प्रश्न हैं जिनका चंद्रयान -3 रोवर अपने वैज्ञानिक उपकरणों के साथ उत्तर खोजने की कोशिश कर रहा है।ह्व इसरो ने कहा कि विशष्टि एक्स-रे की ऊर्जा और तीव्रता को मापकर, शोधकर्ता मौजूद तत्वों और उनकी प्रचुरता का पता लगा सकते हैं।

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