दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़ा विधेयक लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी आसानी से पास हो गया। बिल के समर्थन में 131 सांसदों ने वोट किया तो विपक्ष में 102 मत पड़े। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस समेत 26 दलों के विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने इस बिल को राज्यसभा में रोकने की पूरी कोशिश की, लेकिन अंकगणित में पिछड़ गए।
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक के खिलाफ अपनी लड़ाई को 2024 का सेमीफाइनल तक करार दिया था। इसमें हार के बाद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में उनकी पार्टी ने भाजपा को चार बार हराया और अब उन्होंने चोर दरवाजे से सत्ता हासिल करने की कोशिश की है।
बिल पास होने का क्या असर
लोकसभा और राज्यसभा में बिल पास होने के बाद अब यह राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून का रूप ले लेगा। इसके साथ ही दिल्ली में सेवा पर केंद्र सरकार के अधिकार को कानूनी संरक्षण हासिल हो जाएगा। हालांकि, कानून का दिल्ली सरकार पर कोई नया असर नहीं होने जा रहा है। क्योंकि जो प्रावधान केंद्र सरकार ने किए हैं वह अध्यादेश के साथ ही लागू हो गए थे। इसके मुताबिक, अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का फैसला नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी के जरिए होगा। अथॉरिटी में सीएम, मुख्य सचिव और प्रधान सचिव गृह सदस्य होंगे। बहुमत के आधार पर फैसले लिए जाएंगे और विवाद की स्थिति में एलजी का फैसला अंतिम होगा। दिल्ली सरकार इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में पहले ही चुनौती दे चुकी है। अब उसकी सारी उम्मीद न्यायपालिका पर टिकी है।
हारकर भी क्या हासिल कर पाए केजरीवाल
आप मुखिया अरविंद केजरीवाल भले ही इस मुकाबले में हार गए हैं, लेकिन जिस रणनीति से उन्होंने यह लड़ाई लड़ी उसमें बहुत कुछ हासिल भी कर पाए हैं। उनकी सबसे बड़ी सफलता यह है कि जिन विपक्षी दलों से कभी उनका कट्टर विरोध था, उनको भी साथ लाने में कामयाब रहे। संविधान की दुहाई देकर वह कांग्रेस समेत अन्य दलों को अपने साथ जोड़ने में सफल रहे। यही वजह है कि 10 राज्यसभा सांसदों वाली पार्टी राज्यसभा में 102 वोट हासिल कर पाई। शुरुआत में कांग्रेस पार्टी केजरीवाल का साथ देने में हिचक रही थी लेकिन विपक्षी एकता के लिए बिल के विरोध को शर्त बनाकर ‘आप’ ने हाथ थामने पर मजबूर किया। विपक्षी टीम में शामिल होने से अगले लोकसभा चुनाव में आप को फायदा होने की उम्मीद है। हाल ही में आए एक सर्वे में भी इसकी भविष्यवाणी की गई है। पिछले हफ्ते ही इंडिया टीवी के सर्वे में कहा गया है कि अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव में आप को 10 सीटें हासिल हो सकती है। दिल्ली में भी पहली बार उसका खाता खुल सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आप को महज पंजाब की एक सीट पर जीत मिली थी। इस बार दिल्ली में दो और पंजाब में 8 सीटों पर जीत का अनुमान लगाया गया है।
खुद को पीड़ित दिखा सहानुभूति बटोर सकती है पार्टी
कहते हैं कि राजनीति असल में परसेप्शन का खेल है और आप ने इसमें अच्छी कुशलता हासिल की है। पिछले कई सालों में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में यह माहौल बनाने की कोशिश की है कि केंद्र की मोदी सरकार उन्हें कामकाज करने से रोक रही है और बाधाओं से लड़ते हुए वह काम कर रहे हैं। सेवा विधेयक पास होने के बाद एक बार फिर केजरीवाल को अपनी बात को बल देने का मौका मिलेगा। संकेत उन्होंने विधेयक पास होने के तुरंत बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में भी दे दिया। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने चोर दरवाजे से सत्ता हासिल करने की कोशिश की है। दिल्ली सरकार के कामकाज में दखल बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली की जनता ने पीएम मोदी को देश संभालने का काम दिया था लेकिन वह दिल्ली में चपरासियों का भी ट्रांसफर-पोस्टिंग करना चाहते हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो आप इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में है और जनता के बीच जाकर प्रचारित करने की तैयारी में जुटी है।