मैं तो योग करा रहा था; महिला पहलवानों के छाती और पेट छूने के आरोपों पर क्या बोले बृजभूषण शरण सिंह
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महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोप झेल रहे कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने मई में सरकार की ओर से बनाई समिति के समक्ष पेश होकर आरोपों को गलत बताया था।

यही नहीं पहलवानों की छाती और पेट छूने के आरोपों से भी इनकार किया था। हालांकि उन्होंने इसी में आगे यह भी कहा कि वह योग के दौरान देख रहे थे कि महिला पहलवानों की सांसें कैसी चल रही हैं। उन्होंने बताया था, ‘मैंने योग के ट्रेनिंग कैंप के दौरान सांस का पैटर्न चेक करने के लिए उनको छुआ था। लेकिन मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मुझे संसद से पारित हुए नए कानून के बारे में कोई जानकारी भी नहीं थी।’

सरकार की ओर से गठित ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में भी जिक्र किया गया है। पैनल की पूछताछ में पहलवानों ने बताया था कि बृजभूषण शरण सिंह ने उनके पेट और छाती को 3 से 4 बार छुआ था। इसके अलावा उनके सांस लेने के पैटर्न पर भी कई बार टिप्पणी की थी। सिंह ने मैरीकॉम की लीडरशिप वाली कमेटी को बताया था कि वह खुद पीड़ित हैं। उन्होंने कहा था, ‘मैं खुद सांस के गलत पैटर्न का शिकार रहा हूं। मैं 20 सालों तक इससे पीड़ित रहा और रात को सो तक नहीं पाता था। मेरे बेटे ने आत्महत्या कर ली थी और मैं तनाव में था। तब योग ने मुझे शरण दी थी। तब मुझे बताया गया कि जब तक मेरा ब्रीथिंग पैटर्न सही नहीं होगा, यह दिक्कत रहेगी।’

बृजभूषण शरण सिंह बताया कि मैंने महिला पहलवानों को गलत ढंग से छुआ ही नहीं था। इसकी बजाय मैंने उन्हें अपनी सांस के पैटर्न का उदाहरण देते हुए समझाया था। मैंने खुद अपने ही पेट पर हाथ रखा था और उन्हें दिखाया था कि जब हम सांस अंदर लेते हैं तो पेट फैलता है और जब बाहर छोड़ते हैं तो सिकुड़ता है। उस दौरान सभी ने अपनी सांस का पैटर्न चेक किया था और यह एक टूर्नामेंट के दौरान की बात है। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली ही एक पहलवान जब मेरे पास आई तो मैंने उनसे कहा था कि प्रैक्टिस के अलावा उन्हें योग भी करना चाहिए।

फिजियो के बयान से भी उठ रहे सवाल

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पैनल ने फिजियोथेरेपिस्ट से भी बात की थी। उन्होंने बताया कि लखनऊ के स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंटर में रात को 10 से 11 बजे के करीब एक कार आती थी। इस कार में जूनियर महिला पहलवानों को कैंप से बाहर ले जाया जाता था। इसे लेकर जब बृजभूषण सिंह से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता था कि महिला और पुरुष पहलवानों के लिए एक ही कैंप हो। मेरी राय थी कि दोनों के लिए अलग-अलग कैंप होने चाहिए। महिला पहलवानों के परिजन भी ऐसा ही चाहते थे।

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