केंद्र की मोदी सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार जल्द होने वाला है। इसके बाद यूपी की योगी सरकार का कैबिनेट विस्तार हो सकता है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए योगी मंत्रिमंडल में विस्तार करने की तैयारी है।कहा जा रहा है कि इसमें सबसे बड़ा नाम सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर का है। ओपी राजभर एक बार फिर योगी सरकार में मंत्री बन सकते हैं। योगी की पहली सरकार में भी राजभर कैबिनेट मंत्री थे। ओपी राजभर के साथ राजभर समाज का बड़ा वोटबैंक है। यह वोटबैंक पूर्वांचल की कई सीटों पर नतीजे प्रभावित करने की हैसियत रखता है।कैबिनेट विस्तार में जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए बदलाव की जुगत हो रही है। बेहतर परफार्मेंस नहीं देने वाले मंत्रियों से कुर्सी छिनेगी और कई नए चेहरों को मौका मिल सकता है। कहा जा रहा है कि संगठन के महत्वपूर्ण लोगों को मंत्री बनाया जा सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ने वाले मंत्रियों और विधायकों को भी साथ लाने की कोशिश हो रही है।
ओपी राजभर की सुभासपा और भाजपा का गठबंधन लगभग तय हो गया है। ओपी राजभर को योगी सरकार में मंत्री बनाने और लोकसभा चुनाव में एक या दो सीट देने पर बातचीत हुई है। सोमवार को दिल्ली में यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात में इसे लेकर सहमति बन गई है। ओपी राजभर से डील फाइनल करने की जिम्मेदारी ब्रजेश पाठक को सौंपी गई है। ब्रजेश पाठक पहले भी कई बार ओपी राजभर के साथ मंच साझा करते दिखाई दिए हैं। उन्होंने साफ किया था कि ओपी राजभर से उनका पुराना रिश्ता है।ओपी राजभर की तरफ से भी भाजपा को लेकर नरम रुख विधानसभा चुनाव के बाद से ही देखा जा रहा है। यहां तक कि राष्ट्रपति चुनाव में भी राजभर ने भाजपा प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मु को वोट दिया था। एमएलसी के चुनाव में भी राजभर और उनकी पार्टी के विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों को वोट दिया था।
ओपी राजभर ने 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। चुनाव बाद योगी की पहली सरकार में राजभर को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था। कुछ समय बाद ही उनका योगी से कई मामलों पर विवाद शुरू हो गया और मंत्री पद से राजभर को बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में राजभर ने सपा के साथ चुनाव लड़ा। यहां भी अखिलेश यादव के साथ उनकी नहीं बनी और अलग हो गए।