अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद गिरोह की कुंडली खंगाल रही एसटीएफ और पुलिस को कई चौंकाने वाली जानकारी मिली है। गाजियाबाद में वर्ष 2002 में पहली हत्या के बाद शार्प शूटर के नाम से पहचान बनाने वाले अनिल दुजाना के वेस्ट यूपी का बड़ा गैंगस्टर बनने में कुछ नेताओं का हाथ बताया जा रहा है।एसटीएफ और पुलिस को राजनीतिक संरक्षण देने वाले कई नाम मिले हैं। खुफिया विभाग भी इसकी जानकारी जुटा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इन नेताओं के नाम शासन तक भेजकर इन पर भी शिकंजा कसा जा सकता है।
अनिल दुजाना ने वर्ष 2002 में गाजियाबाद में पहली हत्या हरवीर की थी। इसके बाद बिसरख कोतवाली क्षेत्र में रोजा जलालपुर गांव के राजू की हत्या की। इसके बाद अनिल दुजाना चर्चाओं में आया। इसी वर्ष अनिल दुजाना ने गाजियाबाद के गैंगस्टर अमित कसाना संग मिलकर रिठौरी गैंग से हाथ मिलाया।
अमित कसाना वर्तमान में रिठौरी गैंग की कमान संभालने वाले रणदीप भाटी का भांजा है। अमित कसाना ने ही रणदीप के भाई रणपाल से दुजाना की मुलाकात कराई। उस दौरान रिठौरी गैंग की सुंदर भाटी गैंग से गैंगवार चल रही थी।
सरकारें बदलीं पर कम नहीं हुआ खौफ
अनिल दुजाना के आपराधिक रिकार्ड भी उसके राजनीतिक संरक्षण की कहानी बयान करता है। दुजाना क्षेत्र में सबसे अधिक सक्रिय वर्ष 2011 और 2012 में रहा। आशंका ये भी है कि अनिल को राजनीतिक संरक्षण देने वाले दोनों पार्टी से जुड़े हो या फिर सरकार बदलने पर दल बदल गए हों। वर्ष 2011 में बसपा कार्यकाल का उस दौरान का अंतिम वर्ष था।
2012 में सपा शासनकाल शुरू हुआ। दुजाना गिरोह ने 12 मई 2011 को मुढ़ी बकापुर थाना बादलपुर निवासी विजय, 24 अगस्त 2011 को बादलपुर के आनन्द उर्फ नन्दू, 22 सितंबर 2011 को सरिया व स्क्रैप-सरिया के धंधे की प्रतिद्वंदिता में प्रधान जयचंद की हत्या की। 18 नवंबर 2011 को साहिबाबाद में एक शादी समारोह में सुंदर भाटी पर स्वचालित हथियारों से लैस होकर हमला किया।
हमले में सुंदर भाटी गैंग के शौकीन, नवीन और जबर सिंह मारे गए थे। लेकिन सुंदर भाटी बच निकला। वहीं 6 जनवरी 2012 को मुजफ्फरनगर में खेड़ा धर्मपुरा के सोनू उर्फ हरीश की हत्या की गई। हत्या खेड़ा धर्मपुरा के अनिल दुजाना गैंग के अमित शर्मा के कहने पर की गई। वहीं 8 जनवरी 2012 को इस गैंग ने छपार, मुजफ्फरनगर के संजीव त्यागी और 29 जून 2012 को दादरी के अशोक की हत्या की थी।
वापस लौटा अनिल दुजाना का साला और करीबी, साधी चुप्पी
अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद से लापता हुआ उसका साला और करीबी शनिवार को वापस लौट आए। हालांकि उनके लापता होने के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई। केवल इतना बताया गया है कि दोनों मेरठ में थे और वहीं से लौटकर आए हैं। बताया जा रहा है कि दोनों के पास मोबाइल नहीं थे। दोनों अनिल दुजाना के साथ ही दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट के लिए निकले थे।
इसके बाद अनिल दुजाना के मेरठ में एनकाउंटर में मारे जाने की खबर मिली और दोनों लापता हो गए। दुजाना के दिल्ली कोर्ट में जाने की बात को गुप्त रखा गया था। इसके बावजूद आशंका जताई जा रही है कि अनिल के किसी करीबी ने ही उसकी मुखबिरी की है। अनिल के गिरोह से जुड़े उन लोगों पर शक जाहिर किया जा रहा है, जिन लोगों से रुपयों को लेकर उसकी अनबन चल रही थी।
इधर, एसटीएफ की जांच के कारण अनिल दुजाना के करीबी भी खुद को उससे कोई संबंध नहीं होने का दावा करने लगे हैं। जिन लोगों को गिरोह की बेनामी संपत्ति के संबंध में जानकारी है, वह भी जांच की आंच से बचने के लिए अनिल से कभी कोई संबंध नहीं होने का दावा करने लगे हैं।