मिट्टी में मिला दिया आंदोलन; कभी केजरीवाल के थे करीबी, अब बंगले को लेकर खूब सुनाया
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आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इन दिनों चौतरफा घिरे हुए हैं। एक तरफ जहां शराब घोटाले को लेकर उन्हें कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ अब बंगला विवाद पर किरकिरी हो रही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस तो हमलावर हैं ही, केजरीवाल की आलोचना कभी उनके करीबी रहे कुछ लोगों ने भी की है। बंगले पर 45 करोड़ रुपए के खर्च के दावों के बीच आम आदमी पार्टी के दो पूर्व नेताओं ने आप संयोजक को खरी-खरी सुनाई है। ‘आप’ के संस्थापक सदस्य रहे प्रशांत भूषण ने तो यहां तक कहा कि केजरीवाल ने आंदोलन को मिट्टी में मिला दिया है। उनका इशारा अन्ना आंदोलन की तरफ था, जिसकी कोख से ‘आप’ का जन्म हुआ था। आप नेता रहे आशुतोष ने भी इस मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि इस खर्च को किसी भी दलील से उचित नहीं कहा जा सकता है।

लाखों के पर्दे और महंगे विदेशी मार्बल के इस्तेमाल से बंगले को सजाने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने दावा किया है कि कोरोना काल में केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास पर करीब 45 करोड़ रुपए खर्च किए। पीडब्ल्यूडी के दस्तावेजों के आधार पर एक टीवी रिपोर्ट के बाद भाजपा ने आरोप लगाए तो ‘आप’ ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का आवास 80 साल पुराना था। इसकी छत टूटकर गिर रही थी इसलिए 30 करोड़ की लागत से नया आवास बनाया गया। भाजपा और आप में आरोप प्रत्यारोप के बीच केजरीवाल के कुछ पुराने साथियों ने भी अपनी राय जाहिर की है। आप के संस्थापक सदस्यों में कभी बेहद खास स्थान रखने वाले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी अपने पूर्व सहयोगी की कड़ी आलोचना की। उन्होंने केजरीवाल का वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ‘तीन चार कमरे के मकान से, 44 करोड़ के महल तक, वह भी सरकारी खर्चे पर! आम आदमी, से खास राजा! यह कहां आ गए हम! पूरे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को मिट्टी में मिला दिया!’ इस वीडियो मे एक तरफ जहां यह कहते हुए नजर आते हैं कि वह आम आदमी हैं और 4-5 कमरों से ज्यादा बड़ा घर नहीं चाहिए। वहीं अब उनके नए बंगले के बारे में भी इसमें बताया गया है।

आशुतोष ने क्या कहा?
केजरीवाल के बंगले पर खर्च का दावा करने वाले चैनल पर जब आप के पूर्व नेता आशुतोष से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने आप सरकार की आलोचना की। आशुतोष ने कहा, ‘2013 में जब दिल्ली में आप की सरकार बनी थी तब केजरीवाल के घर की खोज की जा रही थी। उस समय प्रस्ताव आया था कि 5-5 बेडरूम के डुपलेक्स को एक कर दिया जाए। उसमें कुछ गलत नहीं था। लेकिन आप के कुछ वॉलेंटियर्स ने कहा कि ऐसा करना उचित नहीं होगा। क्योंकि आप हमेशा कहते रहे हैं कि मंत्रियों को बड़े महलों में रहने की जरूरत नहीं। इसके बाद 4 जनवरी 2014 को अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह किसी भी डुप्लेक्स फ्लैट में नहीं रहेंगे क्योंकि उनके वॉलेंटियर्स ने आपत्ति जाहिर की है। तिलकलेन में तीन कमरों के घर में शिफ्ट हुए थे। इससे आप के कार्यकर्ता बहुत खुश हुए थे। मुझे 45 करोड़ का खर्च किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं लगता। यह तर्क भी ठीक नही है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, एलजी या प्रधानमंत्री कितने बड़े महल में रहते हैं। जो पार्टी इस आंदोलन से निकली है कि तमाम नेताओं को दो कमरों के फ्लैट में रहते हैं, वहां से अब तक की यात्रा इस बात की दर्शाती है कि राजनीति ने आप को और इसके नेताओं को पूरी तरह अप्रोप्रिएट कर लिया है। आज उनमें और दूसरे दलों में कोई फर्क नहीं है। जो राजनीति बदलने आए थे वही यदि राजनीति के रंग में रंग जाएंगे तो राजनीति को बदलने का काम कौन करेगा।’

आरोपों पर क्या है AAP की सफाई
टीवी रिपोर्ट के दावों और भाजपा के आरोपों के बाद आम आदमी पार्टी ने दलील दी है कि मुख्यमंत्री का सरकारी आवास 8 दशक पुराना था। सांसद संजय सिंह ने कहा कि केजरीवाल के माता-पिता और खुद सीएम के कमरे में छत गिरने की 3 घटनाएं हो चुकी थीं, इसलिए पीडब्ल्यूडी ने नए आवास का निर्माण किया। उन्होंने इस पर 30 करोड़ रुपए के खर्च की बात स्वीकार की तो एलजी के आवास में मरम्मत पर 15 करोड़ खर्च किए जाने का दावा किया। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी का नया आवास 500 करोड़ रुपए में बनाया जा रहा है तो मोजूदा आवास पर 90 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

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