तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व का खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी को समर्थन देना देश और विकास के हित में है।
हालांकि, नायडू ने एनडीए के पाले में लौटने की संभावना पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी। विश्लेषक इसे एक एक दिलचस्प राजनीतिक घटनाक्रम मान रहे हैं। नायडू के अनुसार, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) का फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होना तो वक्त ही तय करेगा। टीवी डिबेट में, जब एंकर ने नायडू से भाजपा के साथ संभावित गठबंधन के बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया, “यह तो समय की बात है। समय ही बताएगा।” राजनीति और विकास को दो अलग-अलग चीजें बताते हुए चंद्रबाबू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का पूरी तरह से समर्थन करते हैं और देश के विकास के लिए काम करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि विकास और राजनीति को अलग-अलग चश्मे से देखा जाना चाहिए।
नायडू ने 2019 के चुनावों से पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़ लिया था और नरेंद्र मोदी के खिलाफ आक्रामक अभियान भी चलाया था। उन्होंने मोदी के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने के लिए कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को एकजुट करने के जुझारू प्रयास भी किए थे। हालांकि 2019 के चुनावों में शर्मनाक हार का सामना करने के महीनों बाद, नायडू ने मोदी के खिलाफ जाने के अपने कदम पर खेद व्यक्त किया। उन्होंने माना कि उनके इसी कदम से उन्हें (आंध्र प्रदेश की) सत्ता गंवानी पड़ी। तब से, नायडू मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के साथ तालमेल बिठाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। एनडीए नेताओं के साथ संबंधों को पटरी पर लाने के लिए नए सिरे से प्रयास करते हुए, नायडू ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की है।
एक टेलीविजन चैनल पर बहस में बोलते हुए, नायडू ने कहा कि वह 2047 के लिए मोदी के भारत के दृष्टिकोण का पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी जब देश के विकास के बारे में सोच रहे हैं तो उनके रास्ते पर चलने में क्या बुराई है? मैं आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा (एससीएस) हासिल करने और बंटवारे के दौरान आंध्र प्रदेश को किए गए वादों को पूरा करने के लिए ही एनडीए से अलग हुआ हूं। मैं कभी भी मोदी या भाजपा के खिलाफ नहीं था।” उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया में नंबर-1 बनाना भी सपना है और मोदी देश को ठीक ऐसे ही रास्ते पर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के विकास में राजनीतिक मुद्दे आड़े नहीं आने चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय हितों की बलि देकर संकीर्ण राजनीतिक मुद्दों पर नहीं लड़ना चाहिए।
2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना राज्य बना था। उसके बाद, टीडीपी ने भाजपा और पवन कल्याण की जनसेना की मदद से सरकार बनाई। हालांकि, 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले दोस्ती फीकी पड़ गई क्योंकि पवन कल्याण ने चंद्रबाबू और उनके बेटे लोकेश पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। टीडीपी ने उस समय केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस पर आंध्र प्रदेश राज्य के ‘त्रुटिपूर्ण विभाजन’ का आरोप लगाया।
इस बीच सबसे महत्वपूर्ण चेहरा बनकर उभरे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता वाईएस जगन, जो तब विपक्ष में थे। उन्होंने राज्य के लिए विशेष दर्जे के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया। वहीं मतदाताओं की भावनाओं को भांपते हुए, टीडीपी ने मार्च 2018 में भाजपा के साथ अपना गठबंधन वापस ले लिया। इसने आरोप लगाया कि मोदी के शासन में आंध्र प्रदेश में अन्याय हुआ। अमित शाह ने उनके बाहर निकलने पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि एनडीए ने चंद्रबाबू नायडू के लिए हमेशा के लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं।
गठबंधन छोड़ने को लेकर नायडू को खेद है। नायडू पहले भी कई बार कह चुके हैं कि उनकी पार्टी ने केवल राज्य के लाभ के लिए एनडीए सरकार से असहमति जताई थी, लेकिन यह पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। 2019 में, वाईएस जगन की पार्टी ने 22 लोकसभा सीटें जीतीं और 151 विधानसभा सीटें जीतीं। उन्होंने भाजपा नेताओं के करीब बढ़ाई और प्रधानमंत्री मोदी के साथ घनिष्ठ संबंध भी बनाए रखे।