कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ मामले में सजा पर रोक की मांग को लेकर गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस केस में निचली अदालत से अपील को खारिज होने के बाद राहुल ने एचसी का रुख किया है।
सूरत की सत्र अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर. पी. मोगेरा ने दोषसिद्धि के खिलाफ दायर उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। अगर 52 वर्षीय गांधी की दोषसिद्धि पर रोक संबंधी अर्जी मंजूर हो जाती तो उनकी लोकसभा सदस्यता बहाल होने का रास्ता साफ हो सकता था।
राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ 3 अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था। उनके वकील ने राहुल को 2 साल की सजा के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर मुख्य अपील के साथ दो अर्जियां भी दायर की थीं। इनमें एक अर्जी जमानत के लिए थी, जबकि दूसरी अर्जी मुख्य अपील के निस्तारण तक दोषसिद्धि पर रोक के लिए थी।
पटना हाई कोर्ट से राहुल को मिली राहत
वहीं, पटना हाई कोर्ट से सोमवार को राहुल गांधी को इस मामले में राहत जरूर मिली थी। HC ने इसे लेकर राहुल के खिलाफ एक अदालत में चल रही मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी। जस्टिस संदीप कुमार ने राहुल की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाही पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया कि चूंकि उन्हें पहले ही गुजरात की एक अदालत द्वारा इसी तरह के मामले में दोषी ठहराया जा चुका है, इसलिए उनपर उसी अपराध के लिए फिर से मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। भाजपा के सीनियर नेता सुशील कुमार मोदी के वकील एस डी संजय ने बताया, ‘उच्च न्यायालय ने 15 मई तक मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी है। उसी तारीख पर हम याचिका पर अपना जवाब दाखिल करेंगे।’
क्या है पूरा मामला
राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से सांसद बने थे। बीते 23 मार्च को सूरत की एक अदालत ने भाजपा के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में राहुल को दोषी करार दिया था। साथ ही उन्हें 2 साल के कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दे दिया गया था। निचली अदालत ने कांग्रेस नेता को कर्नाटक के कोलार में 2019 में एक चुनावी रैली में की गई उनकी टिप्पणी के लेकर सजा सुनाई थी। इस दौरान राहुल ने कहा था कि सभी चोरों का मोदी उपनाम कैसे हो सकता है।