माफिया से नेता बने अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन की गिरफ्तारी की कोशिशें पिछले 48 घंटों में और तेज कर दी गई हैं। पुलिस की टीमें प्रयागराज और कौशांबी जिलों के विभिन्न इलाकों और गांवों में उसके रिश्तेदारों के घरों सहित सभी ज्ञात संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं।
पुलिस अधिकारियों का मानना है कि अतीक अहमद और उसके छोटे भाई खालिद अज़ीम (अशरफ) की हत्या व अतीक के बेटे असद अहमद की मुठभेड़ में मौत होने के बाद अब शाइस्ता ही है, जोकि 24 फरवरी को वकील उमेश पाल और दो पुलिसकर्मियों की हत्या की योजना पर अधिक जानकारी दे सकती है। पुलिस का कहना है कि अतीक के जेल जाने के बाद से शाइस्ता ही उसका साम्राज्य चलाने लगी थी और रंगदारी भी वसूलती थी।
उमेश पाल हत्याकांड के नामजद आरोपियों में से एक शाइस्ता 24 फरवरी को हुईं हत्याओं के बाद से फरार है। उसके सिर पर 50,000 रुपये का इनाम है। शाइस्ता 15 अप्रैल को अपने बेटे असद के साथ-साथ 16 अप्रैल को कसारी मसारी कब्रिस्तान में किए गए अपने पति और बहनोई के अंतिम संस्कार में शामिल होने में विफल रही। उसने अदालत के सामने आत्मसमर्पण भी नहीं किया है।
कौशांबी जिले के बरेठा, मरियाडीह और हटवा इलाकों में शाइस्ता परवीन की तलाश में पुलिस टीमों द्वारा पिछले 48 घंटों के दौरान छापेमारी की गई है। साथ ही, प्रयागराज के राजरूपपुर, चकिया, कसारी मसारी और बमरौली इलाके में छापेमारी की गई है। प्रयागराज के कसारी मसरी इलाके में शाइस्ता के पिता मोहम्मद हारून के घर की भी तलाशी ली गई है।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि शाइस्ता के कई करीबी रिश्तेदारों से भी उसके ठिकाने के बारे में पूछताछ की जा रही है। जैसा कि शाइस्ता को आखिरी बार शहर में एक कमर्शियल कार में देखा गया था, पुलिस ट्रैवल एजेंसियों के मालिकों से भी संपर्क कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि उनके पास कोई सुराग है या नहीं। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि शाइस्ता कई आपराधिक कृत्यों में अतीक का समर्थन करती रही है और उसने उमेश पाल को खत्म करने की साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ”अतीक की मदद करने के लिए, जिसे अपने आपराधिक रिकॉर्ड के कारण नए हथियारों का लाइसेंस नहीं मिल सका, शाइस्ता ने अतीक के कनेक्शन की मदद से फर्जी पते का उपयोग करते हुए तीन हथियारों के लिए लाइसेंस प्राप्त किया – जिसमें एक राइफल और दो पिस्तौल शामिल थी।” इसके चलते 2009 में उसके खिलाफ आईपीसी और आर्म्स एक्ट की विभिन्न संबंधित धाराओं के तहत कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में पहले तीन मामले दर्ज किए गए। पुलिस के अनुसार, शाइस्ता ने फरवरी 2017 में अतीक के जेल जाने के बाद से अपने पति के साम्राज्य को सक्रिय रूप से चलाना शुरू कर दिया था। यहां तक कि शहर में अतीक के ज्ञात गुर्गों के साथ चलने की उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी सामने आई थी। उसने राजनीतिक गलियारों में भी अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी थी।
पुलिस का दावा है कि अतीक के कहने पर वह (शाइस्ता) बिल्डरों व अन्य व्यापारियों से रंगदारी वसूलती थी। उसने उमेश पाल और उसके दो पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल हमलावरों को ऐसे स्रोतों से उगाही के पैसे दिए। घटनाक्रम से वाकिफ एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि 24 फरवरी को हुई हत्याओं के बाद शाइस्ता को पकड़ने के लिए छापेमारी करते हुए, पुलिस ने 72 लाख रुपये की नकदी भी बरामद की, जिसे उसने कथित तौर पर अपने नौकर राकेश को छुपाने के लिए दिया था। अवैध रूप से हथियार खरीदने के संबंध में दर्ज तीन मामलों (2009) के अलावा, शाइस्ता के खिलाफ चौथा मामला भी 24 फरवरी, 2023 को धूमनगंज पुलिस स्टेशन में आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज है, जो वकील को गोली मारने से संबंधित है।
यूपी में निकाय चुनाव को लेकर जोर आजमाइश हो रही है। पिछले निकाय चुनाव के दौरान ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव की अपने चाचा शिवपाल यादव से रार बढ़ गई थी। इसका फायदा भाजपा ने उठाया था।
इस बार शिवपाल की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां तक कहा जा रहा है कि निकाय चुनाव में अखिलेश यादव से ज्यादा अहम शिवपाल यादव हो गए हैं। इसके पीछे संगठन पर उनकी खासी पकड़ को कारण बताया जा रहा है।
संगठन में प्रभावी भूमिका निभाने वाले शिवपाल इन दिनो निकाय चुनाव में सपा को बढ़त दिलाने के इरादे से रात दिन एक किये हुए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि संगठन से जुड़े हुए लोग शिवपाल को केवल पसंद ही नहीं करते हैं, बल्कि उनकी बात को सुन कर उस पर अमल भी करते है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा में पूरी तरह खुद को समर्पित कर चुके शिवपाल निकाय चुनाव में पार्टी की जीत को लेकर एक रणनीति के साथ चलते हुये कोई कोरकसर छोड़ने के मूड में नहीं है।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि इससे पहले हुए निकाय चुनाव में शिवपाल सपा से अलग होकर के एक नई राह पर चल रहे थे, जिसका फायदा कहीं ना कहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उठाया है मगर इस बार शिवपाल के पूरी तरह सपा के साथ खड़े होने से नुकसान की संभावना लगभग खत्म हो चुकी है।
इटावा के वरष्ठि पत्रकार हेम कुमार शर्मा ने कहा कि शिवपाल की पार्टी संगठन में खासी पकड़ आज भी है। कार्यकर्ता उनकी बात को ना केवल सुनते हैं बल्कि हर हाल में मानते भी हैं। शिवपाल के करीबी मानकर चलते हैं कि शिवपाल ने भीतरी तौर पर इस बात का संकेत पार्टी कार्यकर्ताओं को दे दिया है कि पार्टी से जो भी अधिकृत उम्मीदवार उतारा जाए उसके पक्ष में ही हर हाल में काम करना है और उसको विजय दिला करके पार्टी को मजबूती प्रदान करनी है, इसलिए शिवपाल लगातार बैठक दर बैठक करने में जुटे हुए हैं। फिलहाल उन्होने अपने गृह जिले इटावा में ही कैंप किया हुआ है।
मैनपुरी लोकसभा के उप चुनाव में शिवपाल इस भूमिका में दिखाई दे रहे थे और निकाय चुनाव में भी उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव से जुड़े हुए लोगों की लस्टि मंगा ली है, जिसे अखिलेश यादव एक-एक करके फाइनल करने में जुटे हुए दिखाई दे रहे हैं।
पार्टी के भरोसेमंद सूत्र दावा करते हैं कि निकाय चुनाव में स्टार प्रचारकों की लस्टि में शिवपाल सिंह यादव प्रमुख लोगों में शामिल किए गए हैं, जल्दी ही सपा अपने स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर देगी, इसके बाद शिवपाल सिंह यादव जोरदारी के साथ प्रचार करने में जुट जाएंगे।