चीन की तानाशाही इस कदर बढ़ गई है कि वह लोकतांत्रिक टापू राष्ट्र ताइवान के अलग अस्तित्व को मानता ही नहीं है। चीन का मानना है कि यदि ताइवान को अलग होना है तो उसे अंगारों के रास्ते पर चलकर अपना रसूख साबित करना होगा।
चीन ने उन देशों को भी दबी आवाज में चेतावनी दे डाली है जो ताइवान के अस्तित्व को मानते हैं। चीन ने ताइवान को आंख दिखाने का काम शुरू कर दिया और 70 विमानों और करीब एक दर्जन जहाजों को ताइवान की सीमा के करीब भेज दिया। तीन दिनों तक आग बरसाने वाले जहाजों के जरिए सैन्य अभ्यास कर रहे चीन ने ताइवान को अपने चंगुल में कस लेने की पूरी तैयारी कर ली है। चीन के रक्षा मंत्री ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि ताइवान की आजादी का मतलब वहां की शांति और स्थिरता को खतरे में डालना। जाहिर है चीन सीधे तौर पर ताइवान के मामले पर जंग के लिए तैयार है।
ताइवान की राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा के बाद चीन की सेना ने एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन करते हुए कई दर्जन लड़ाकू विमान और युद्धपोत ताइवान की ओर भेजे। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। चीन की सेना ने इससे पहले लड़ाई की तैयारी के लिए तीन दिवसीय गश्त की घोषणा की थी। चीन द्वीप राष्ट्र के उसका हिस्सा होने का दावा करता है।
ताइवान की राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा से नाखुश चीन
चीन का कहना है कि विदेशी अधिकारियों और द्वीप की लोकतांत्रिक सरकार के बीच संपर्क ताइवान के लोगों को प्रोत्साहित करता है जो औपचारिक स्वतंत्रता चाहते हैं। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि इससे युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। दोनों पक्ष 1949 में एक गृहयुद्ध के बाद अलग हो गए थे। चीन का कहना है कि यदि जरूरत पड़ी तो द्वीप को मुख्य भूमि में फिर से शामिल किया जा सकता है। चीन की यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब उसके आक्रामक रवैये के बावजूद अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी ने अमेरिका के कैलिफोर्निया में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की मेजबानी की। ताइवान में अमेरिकी कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी साई के लौटने के बाद सप्ताहांत में उनसे मुलाकात की।
चीन ने इसके जवाब में साई की अमेरिकी यात्रा से जुड़े लोगों के खिलाफ यात्रा तथा वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं और सैन्य गतिविधियों में वृद्धि की है। सोशल मीडिया मंच ‘वायबो’ पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पूर्वी कमान की पोस्ट के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने सोमवार को सुबह बताया कि उसका शेदोंग विमानवाहक पोत पहली बार ताइवान को घेरने वाले अभ्यास में भाग ले रहा है। इसमें एक वीडियो में लड़ाकू विमान एक जहाज से उड़ान भरते हुए नजर आ रहा है।
70 विमानों ने की चहलकदमी
ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रविवार को सुबह छह बजे से सोमवार को सुबह छह बजे के बीच कुल 70 विमानों की गतिविधियों का पता चला, जिनमें से आधे विमानों ने ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया। चीन और ताइवान के बीच एक सहमति के अनुसार यह एक अनौपचारिक सीमा है। मध्य रेखा पार करने वाले विमानों में आठ जे-16 लड़ाकू विमान, चार जे-1 लड़ाकू विमान, आठ एसयू-30 लड़ाकू विमान और टोही विमान शामिल थे।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इसके बाद सोमवार को सुबह बमवर्षकों द्वारा 59 अन्य उड़ानों के साथ-साथ कई लड़ाकू विमानों की गतिविधियों की जानकारी मिली है। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की हालिया अमेरिका यात्रा से नाराज चीन ने शनिवार को भी ताइवान जलडमरूमध्य की तरफ युद्धपोत और दर्जनों लड़ाकू विमान भेजे थे। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ताइवान के पास शनिवार को आठ युद्धपोत और 71 विमान देखे गए, जिनमें से 45 ने जलडमरूमध्य की मध्य रेखा को पार किया।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह ” संघर्ष को न बढ़ाने, और विवादों का कारण नहीं बनने” के नजरिए के साथ स्थिति का सामना कर रहे हैं। ताइवान ने कहा कि वह अपनी भूमि आधारित मिसाइल प्रणालियों के साथ-साथ अपनी नौसेना के जहाजों के माध्यम से चीन की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। इस बीच, दक्षिण चीन सागर के दक्षिण में अमेरिका के 7वें बेड़े ने कहा कि उसका मिसाइल का तबाह करने में सक्षम उसका यूएसएस मिलियस नौवहन अभियान के लिए रवाना हो गया है।
चीन मे बनाए कृत्रिम द्वीप
चीन ने विवादित क्षेत्र पर अपना दावा ठोकने के लिए समुद्र पर एक कृत्रिम द्वीप बनाया है।चीन की सेना के दक्षिण कमान की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, चीन का कहना है कि अमेरिका उसकी अनुमति के बिना ”गैरकानूनी तरीके से उसके क्षेत्र में दाखिल हुआ”। साई के साथ बैठक करने वाले अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने बताया कि अमेरिका को चीन द्वारा पेश किए जा रहे खतरों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि चीन सरकार दावा करती है कि ताइवान उसके राष्ट्रीय क्षेत्र का हिस्सा है, जबकि ताइवान की वर्तमान सरकार का कहना है कि यह स्वशासित द्वीप पहले से ही संप्रभु राष्ट्र है और चीन का हिस्सा नहीं है।