कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दलों की ओर से अपनी-अपनी जीत के दावे शुरू हो चुके हैं। साथ ही इस दावे को हकीकत में बदलने के लिए पार्टियों की ओर से हर संभव कोशिश की जा रही है।
माना जा रहा है कि राज्य में इस बार भी सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला होना है। हालांकि, जनता दल (सेक्युलर) भी बड़ी भूमिका निभाते हुए दिख सकती है। कुछ राजनीतक जानकार तो जेडी (एस) को किंगमेकर के तौर पर भी देख रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर बीजेपी और कांग्रेस में से किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो क्या होगा? ऐसी स्थिति में JD(S) किसका साथ देगी?
यही सवाल कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडी (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच. डी. देवगौड़ा से मंगलवार को पूछा गया। इसका उन्होंने कोई सीधा जवाब तो नहीं दिया मगर कई अहम बातें जरूर कहीं। देवगौड़ा ने कहा, ‘राज्य के लोगों का कुमारस्वामी को पूरा समर्थन हासिल है। रात के 1 बजे भी लोग कुमारस्वामी को सुनने के लिए उत्सुक हैं, ये मौजूदा स्थिति है।’ उन्होंने कहा कि कुमारस्वामी किसी के साथ गठबंधन नहीं चाहते हैं। देवगौड़ा ने कहा कि कर्नाटक के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच एक सर्वे किसी एजेंसी की ओर से कराया गया है। इस सर्वे में एच. डी. कुमारस्वामी सबसे बड़े नेता के रूप में उभरे हैं।
कर्नाटक की कितनी सीटों पर JDS का असर?
गौरतलब है कि JD(S) के वोट शेयर में 2008 के बाद से निरंतरता देखी गई है जो कि 18-20% के बीच है। यहां भी ध्यान रखना होगा कि जेडी (एस) को ये वोट राज्य की कुछ चुनिंदा सीटों से ही मिलते हैं। यह पार्टी अपने गढ़ साउथ कर्नाटक में लगातार मजबूत होती गई है। हालांकि, राज्य के दूसरे हिस्सों में उसकी स्थिति कमजोर दिखी है। जेडी (एस) के वोटों में होने वाली बढ़ोतरी जितना ज्यादा कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी, उतना भाजपा को नहीं। इसकी वजह यह है कि ऐसी कई सीटें हैं जिन पर कांग्रेस और जेडी (एस) के उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर होती है। यह बात भाजपा के साथ उस हद तक लागू नहीं होती। ऐसे में जो मतदाता बीजेपी सरकार से नाखुश हैं उन्हें कांग्रेस को JD(S) की ओर से मुड़ने से रोकना होगा।
सियासी बयानबाजियों का दौर जारी
दूसरी ओर, राज्य में सियासी बयानबाजियों का दौर लगातार जारी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस नेता सिद्धरमैया और डी के शिवकुमार चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद का सपना देख रहे हैं, लेकिन यह साकार नहीं होगा। बोम्मई ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं का मुख्य ध्यान सत्ता और मुख्यमंत्री पद पर है, राज्य के लोगों के कल्याण पर नहीं है। वहीं, कांग्रेस ने दावा किया कि राज्य में उसके सभी नेता एकजुट हैं। हम प्रदेश की ’40 प्रतिशत कमीशन’ वाली सरकार को सत्ता से हटाने के लिए लड़ रहे हैं, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा अब राज्य में ‘डूबता जहाज’ है, जिसे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नहीं बचा सकते। मुख्य विपक्षी दल ने यह बयान उस वक्त दिया है, जब उसके सीनियर नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा मुख्यमंत्री पद पर कथित तौर पर अपना दावा पेश करने से जुड़ी खबर आई थी।