सॉफ्टी आइसक्रीम खाना होगा महंगा, लगेगा 18 फीसदी टैक्स
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वनीला स्वाद में तैयार सॉफ्टी आइसक्रीम मिक्स डेयरी प्रोडक्ट नहीं है और उसपर 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगेगा. एडवांस रूलिंग अथॉरिटी की राजस्थान पीठ ने यह निष्कर्ष दिया है.

वीआरबी कंज्यूमर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने पाउडर के रूप में वनीला मिक्स पर टैक्स को लेकर एएआर से संपर्क किया था. उन्होंने प्रोडक्ट के बारे में कहा था कि इसमें 61.2 फीसदी चीनी, 34 फीसदी दूध के ठोस पदार्थ (स्किम्ड मिल्क पाउडर) और स्वाद बढ़ाने वाले पदार्थ और नमक सहित 4.8 फीसदी अन्य सामग्री शामिल है.

एएआर ने दिया ये फैसला

एएआर ने पाया कि मुलायम और मलाईदार प्रोडक्ट बनाने में प्रत्येक कच्चे माल की एक विशिष्ट भूमिका होती है. इसके अलावा, यह भी महत्वपूर्ण है कि न केवल उत्पाद की सामग्री, बल्कि सॉफ्ट सर्व यानी आइसक्रीम बनाने की मशीन में की गई प्रोसेसिंग भी सॉफ्ट सर्व को चिकनी और मलाईदार बनावट देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जीएसटी कानून के अनुसार प्रोसेसिंग के जरिए मानव उपभोग के लिए तैयार किए गए फीसदी पर 18 फीसदी टैक्स लगता है.

इसके अलावा दूध पाउडर, चीनी और किसी भी अन्य अतिरिक्त सामग्री, जेली, आइसक्रीम और इसी तरह की तैयारी पर भी 18 फीसदी जीएसटी लगता है. प्राधिकरण ने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि जिस उत्पाद पर सवाल उठाये गये हैं, उसे डेयरी उत्पाद नहीं कहा जा सकता है. इस प्रकार, उत्पाद वनीला मिक्स यानी वनीला स्वाद में सूखी सॉफ्टी आइसक्रीम (कम वसा) पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

क्या कह रहे हैं जानकार

एएमआरजी एंड एसोसिएट के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन के अनुसार, फैसले में कहा गया है कि उत्पाद का मुख्य कच्चा माल चीनी है, न कि दूध का ठोस पदार्थ. इससे यह डेयरी आधारित उत्पाद के बजाय प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट बन जाता है. मोहन ने कहा कि यह फैसला जीएसटी कैटेगराइज निर्धारित करने में प्रमुख सामग्रियों और मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के महत्व को रेखांकित करता है. एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर संदीप सहगल ने कहा कि यह फैसला अमृत फूड्स मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उलट है.

उस मामले में न्यायालय ने संस्थागत बिक्री के लिए मिल्क शेक मिक्स और सॉफ्ट सर्व मिक्स को डेयरी उत्पाद के रूप में कैटेगराइज किया था. उन्होंने कहा कि इन फैसलों के बीच का अंतर जीएसटी लगाने के लिए उत्पादों को वर्गीकृत करते समय कंपनियों के सामने आने वाली जटिलताओं को बताता है. यह टैक्स देनदारी निर्धारित करने में कच्चे माल की संरचना और उत्पाद के उपयोग के महत्व को बताता है.

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