सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें जेल में बंद नेताओं के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रचार की इजाजत मांगी गई थी। कोर्ट ने याचिका के पीछे दुर्भावना बताते हुए कहा कि इसमें एक राजनेता (अरविंद केजरीवाल) पर फोकस किया गया है जो खुद इस कोर्ट में आने के लिए सक्षम हैं और कई वकील उनके लिए तैयार हैं।याचिकाकर्ता ने देश की सबसे बड़ी अदालत से मांग की थी कि गिरफ्तार किए गए नेताओं को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार की छूट दी जाए।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘आप क्यों एक व्यक्ति (दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल) पर केंद्रित हैं। आपकी पूरी याचिका एक खास राजनीतिक व्यक्ति के संदर्भ में है जो खुद कोर्ट आने में सक्षम हैं। जो खुद सर्वोत्तम वकीलों के साथ यहां आते हैं।’ याचिकाकर्ता के वकील सीयू सिंह ने कहा, ‘मेरा मानना है कि मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और इसे कोर्ट के सामने नहीं उठाया गया है।’
जस्टिस कांत ने कहा कि सवाल बहुत महत्वपूर्ण और दिलचस्प है, लेकिन हम इसका परीक्षण सही केस में करेंगे। कोर्ट ने याचिका को निरस्त करते हुए कहा, ‘हम इस याचिका पर सुनवाई को जरूरी नहीं मानते जिसे कथित तौर पर जनता के हित में दायर किया गया है।’ कोर्ट ने कहा कि यदि वह ऐसे लोगों के लिए आए होते जो अपनी आवाज नहीं उठा सकते तो निश्चित तौर पर विचार किया जाता।
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुई गिरफ्तारी की उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 21 दिनों की अंतरिम जमानत भी दी थी। केजरीवाल 2 जून को सरेंडर करके दोबारा जेल चले गए।