उत्तर प्रदेश में परीक्षाओं को पारदर्शी और शुचितापूर्ण तरीके से कराने के लिए योगी सरकार ने एक कड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में आयोजित कैबिनेट बैठक में सार्वजनिक परीक्षाओं में नकल करने और पेपर लीक की रोकथाम के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी गई है।
इस अध्यादेश के तहत नकल करने या कराने और पेपरलीक करने वालों के खिलाफ सजा के कड़े प्राविधान सम्मिलित किए गए हैं। ऐसे व्यक्ति जो नकल करने या कराने में शामिल होंगे, उन्हें 2 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने को शामिल किया गया है। परीक्षा में होने वाले खर्च की भरपाई साल्वर गैंग से वसूली जाएगी। साथ ही उनकी संपत्तियां भी कुर्क की जाएंगी।
उत्तर प्रदेश वर्ष 1992 के बाद कोई कड़ा नकल विरोधी अध्यादेश लागू किया जा रहा है। वर्ष 1992 में तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार ने हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए नकल विरोधी कानून लागू किया था। उस वक्त के शिक्षा मंत्री राजनाथ सिह थे। बाद में वर्ष 1993 में मुलायम सिंह सरकार बनने पर इस अध्यादेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गई थी। बाद में उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने 1998 में सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों की रोकथाम के लिए कानून बनाया, जिसमें अधिकतम एक साल की सजा और 5 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
विभिन्न परीक्षाओं पर लागू होगा अध्यादेश
लोकभवन में आयोजित कैबिनेट की बैठक के बाद वित्त एवं संसदीय मंत्री सुरेश खन्ना ने मंजूर किए गए प्रस्तावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट के समक्ष कुल 44 प्रस्ताव रखे गए थे, जिसमें 43 को कैबिनेट ने मंजूरी प्रदान की है। अनुमोदित प्रस्तावों में ‘सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों और पेपर लीक रोकथाम अध्यादेश-2024’ भी शामिल है। सुरेश खन्ना ने बताया कि अध्यादेश में यदि कोई संस्था या उससे जुड़े लोग पकड़े जाएंगे तो उन्हें दो वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्राविधान किया गया है।
इन बोर्डों की परीक्षाओं में होगा प्रभावी
सुरेश खन्ना ने बताया कि अध्यादेश के तहत लोकसेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण या निकाय या उनके द्वारा नामित संस्था द्वारा संचालित परीक्षाओं में नकल करने, कराने या पेपरलीक करने पर यह लागू होगा। यह अध्यादेश किसी प्रकार की भर्ती परीक्षाओं, नियमितीकरण या पदोन्नती करने वाली परीक्षाएं, डिग्री-डिप्लोमा, प्रमाण पत्रों या शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं पर भी लागू होगा।
सॉल्वर गिरोह से होगी भरपाई, कंपनी सदा के लिए होगी ब्लैक लिस्ट
इस अध्यादेश के तहत फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी सेवायोजन वेबसाइट बनाना इत्यादि दंडनीय अपराध बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि यदि परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर आने वाले वित्तीय भार को सॉल्वर गिरोह से वसूलने तथा परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली संस्था तथा सेवा प्रदाताओं को सदैव के लिए ब्लैक लिस्ट करने का भी प्राविधान किया गया है। अधिनियम में अपराध की दशा में संपत्ति की कुर्की भी प्राविधानित की गई है।
सभी अपराध होंगे संज्ञेय
इसके तहत समस्त अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय एवं अशमनीय बनाए गए हैं। जमानत के संबंध में भी कठोर प्राविधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में विधानसभा का सत्र न होने के कारण बिल के स्थान पर अध्यादेश का प्रस्ताव किया गया है। मंत्रिपरिषद के द्वारा प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद अध्यादेश की प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा और इसके बाद इसे लागू किया जाएगा।
उत्तराखंड व गुजरात समेत कई राज्यों में है कानून
उत्तर प्रदेश में वर्ष 1998 में कल्याण सिंह सरकार ने उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम लागू किया था। इसमें नकल करने पर तीन साल की सजा और 2000रुपये जुर्माना का प्रावधान था। साथ ही अधिकतम एक साल की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। उत्तराखंड ने अभी हाल ही में मार्च 2023 में सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग पर रोक व दंड के लिए विधेयक पास किया है। इसमें भी तीन साल की सजा और कम से कम पांच लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इसमें परीक्षा प्राधिकरण से मिलकर संगठित अपराध या अनुचित साधनों में शामिल व्यक्ति को दस साल से लेकर आजावीन कारावास के साथ 1 करोड़ से लेकर 10 करोड़ रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह गुजरात ने भी वर्ष 2022 में कड़ा कानून लागू किया है। इसमें 7 से 10 साल की सजा और कम से कम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
पेपर लीक लोकसभा चुनाव में बना था बड़ा मुद्दा
पेपर लीक का मामला लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बना था। यूपी की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने पेपर लीक को अपनी हर चुनावी सभा में उठाया था। मंगलवार को सपा कार्यकर्ताओं ने पेपर लीक को लेकर लखनऊ में विरोध प्रदर्शन भी किया। नीट पेपर लीक को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान परीक्षा रद्द करने और शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग की गई। सपा की युवा शाखा के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय से नारेबाजी करते हुए विक्रमादित्य मार्ग तक विरोध मार्च निकाला, जहां वह पुलिस के लगाए गए अवरोधकों पर चढ़ गए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया और कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर प्रदर्शन स्थल से दूर छोड़ दिया।