योगी सरकार ने फैसला लिया है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग में इस साल तबादले नहीं होंगे। वहीं स्वास्थ्य विभाग में भी मानक के अनुसार जरूरी तबादले ही किए जाएंगे। मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रखने के लिए यह फैसला किया गया है।
वर्ष 2022 में विभाग में हुए बंपर तबादलों के बाद प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। इसी को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग में ट्रांसफर सेशन जीरो किए जाने के प्रस्ताव को प्रदेश सरकार ने हरी झंडी दे दी है।
तबादलों के मौसम में मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षकों व अन्य स्टाफ के लिए अच्छी खबर है। अपरिहार्य स्थिति को छोड़ बाकी किसी का तबादला नहीं किया जाएगा। दरअसल चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन लगातार नये मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। वहां मानकों के अनुरूप स्टाफ न हुआ तो एनएमसी के निरीक्षण में वे फेल हो जाएंगे। ऐसे में वहां शैक्षिक सत्र शुरू नहीं हो पाएगा। वहीं पुराने मेडिकल कॉलेज भी मानकानुसार स्टाफ न होने की समस्या से जूझ रहे हैं। बीते दिनों एनएमसी ने इसे लेकर करोड़ों रुपये का जुर्माना भी लगाया था। ऐसे में चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से इस साल तबादले न किए जाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था, जिसे स्वीकृति मिल गई है।
इसके साथ ही चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग को लेकर भी प्रस्ताव भेजा गया था। उस पर कार्मिक विभाग की राय लेने के निर्देश दिए गए हैं। दरअसल दो साल पहले स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के बंपर तबादले किए गए थे। उसके बाद हालात यह हुए कि तैनाती स्थल से वे लोग रिलीव हो गए लेकिन नए तैनाती स्थल पर ज्वाइन ही नहीं किया। ऐसे में दोनों जगह की व्यवस्था चरमरा गई थी। उसे लेकर खुद विभाग की कमान संभालने वाले उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी सवाल उठाए थे। सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग में भी सिर्फ तबादले के लिए आवेदन करने वालों के ही तय मानकों के हिसाब से तबादले किए जाएंगे।