प्रदेश के विभिन्न शहरों में प्राधिकरणों तथा आवास विकास के फ्लैटों की कीमतें जल्द 20 से लेकर 25 प्रतिशत तक कम होंगी। इसके लिए नई कास्टिंग गाइडलाइन तैयार है। एलडीए उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है।
कैबिनेट व मुख्यमंत्री से मंजूरी के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा।
प्रदेश में अभी वर्ष 1999 में बनी कास्टिंग गाइडलाइन के हिसाब से सम्पत्तियों की कीमतों की गणना होती है। इसमें तमाम ऐसे चार्ज जोड़े गए हैं जिससे सम्पत्तियों की कीमतें बढ़ जाती हैं। प्रदेश के प्राधिकरण एचआईजी, एमएमआई तथा एमआईजी श्रेणी के मकानों के बेसिक मूल्य पर 15 कंटीजेंसी तथा 15 ओवरहेड चार्ज लेते हैं। एलआईजी श्रेणी के मकान के लिए 15 कंटीजेंसी तथा 12.50 ओवरहेड चार्ज जोड़ते हैं। ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकानों में 15 कंटीजेंसी जोड़ा जाता हैं वहीं 10 ओवरहेड चार्ज लिया जाता है। एलडीए उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने कास्टिंग गाइड लाइन में बड़ा सुधार करने का सुझाव दिया है। एचआईजी, एमआईजी तथा एमएमआईजी के मकानों के कंटीजेंसी शुल्क में 8 तथा ओवरहेड चार्ज में 7.50 प्रतिशत की कमी करने का सुझाव दिया गया है।
इसके जरिए भी कीमतें कम करने की तैयारी
भूखंडों, भूखण्डों पर लगने वाली ब्याज दरों में भी कमी होगी। ईडब्ल्यूएस एलआईजी पर 7, एमआईजी पर 8, एचआईवी पर 9 तथा व्यावसायिक भवन भूखण्ड होने पर 11 ब्याज लेने का सुझाव दिया गया है। बैंकों में ब्याज दरों में परिवर्तन होने पर इसमें भी परिवर्तन होगा। विलम्ब से भुगतान करने पर 2 अतिरिक्त ब्याज देना होगा।लीज होल्ड भवनों में भूमि के अतिरिक्त भवनों के निर्माण लागत पर फ्री होल्ड चार्ज न लेने का सुझाव दिया गया हैतीन वर्षों के उपरांत 50 से अधिक मकान, फ्लैट रिक्त होने पर अलोकप्रिय घोषित किया जाएगा। 45 दिन में एकमुश्त भुगतान पर 6, 60 दिन में पूरे पैसे जमा करने पर 5 छूट जैसे प्रावधान भी किए जाएंगे।
लागत निकालने की प्रक्रिया में भी संशोधन
वर्तमान में भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2016 में भूखंड की कीमत ज्यादा करने के लिए इसमें ज्यादा एफएआर जोड़ दिया जाता है। इसे कम करने के लिए अधिकतम 1.5 एफएआर के हिसाब से कीमत निर्धारित करने का सुझाव दिया गया है।एलडीए वित्त नियंत्रक दीपक सिंह ने बताया कि फ्लैटों व भूखण्डों की कीमतों में कमी के लिए कास्टिंग गाइड लाइन शासन को भेज दी गयी है। 11 जून को अपर मुख्य सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने इस सम्बंध में बैठक की है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह प्रदेश भर में लागू हो जाएगा।