जनता को हल्के में न लें रामदेव; सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा, पतंजलि के खिलाफ भी सख्ती
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सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से यह बताने को कहा कि ‘क्या उसके उन 14 उत्पादों की बिक्री बंद हो गई है, जिनके उत्पादन लाइसेंस पिछले माह उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने निलंबित कर दिए थे।

जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ के इन सवालों का जवाब देते हुए पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कहा कि उन सभी उत्पादों की बिक्री रोक दी है, जिनके बनाने के लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया है।

इसके बाद पीठ ने यह भी जानना चाहा कि ‘क्या यह भी सही है कि आपके स्टॉकिस्टों ने इनका भंडारण करना और बेचना बंद कर दिया है?, आपको इसकी जांच करनी होगी और हलफनामा दाखिल करना होगा। इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने भी कहा कि वह इस बारे में हलफनामा दाखिल करेंगे।

आपके हलफनामे से बहुत फर्क पड़ेगा
वरिष्ठ अधिवक्ता सिंह ने पीठ को बताया कि पतंजलि ने उन सभी चैनलों को पत्र लिखा है, जहां इन उत्पादों के विज्ञापन दिखाए जा रहे थे। इसके बाद पीठ ने कहा कि आपके हलफनामे से बहुत फर्क पड़ेगा। पीठ ने साफ कर दिया कि पतंजलि के वकील की दलीलों पर भी गौर किया कि दायर किया जाने वाला प्रस्तावित हलफनामा उचित मंच के समक्ष इन उत्पादों के लाइसेंस के निलंबन के आदेश को चुनौती देने के उनके अधिकार और विवाद पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना है।

कृपया जनता को हल्के में न लें
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि ‘हमारी एकमात्र चिंता यह थी कि जनता को अच्छी तरह से सूचित किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि योग गुरु रामदेव के बहुत सारे अनुयायी हैं और लोग आंख मूंदकर उनका अनुसरण करते हैं। उन्होंने रामदेव से कहा कि कृपया, जनता को हल्के में न लें। इस दौरान अदालत में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में रामदेव का अपना योगदान है। इस पर जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि लोग उनकी ओर देखते हैं। उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करे सभी राज्य
पीठ ने कहा कि नागालैंड का हलफनामा रिकॉर्ड में नहीं है। शीर्ष अदालत ने उन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को चार सप्ताह में भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है, इस बारे में हलफनामा दाखिल करने का अंतिम मौका दिया है। पीठ ने यह आदेश तब दिया, बताया गया कि पश्चिम बंगाल के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण का हलफनामा रिकॉर्ड पर है, जबकि नागालैंड की ओर से पेश वकील ने कहा है कि हलफनामा सोमवार को किया गया था।

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