8 साल पहले भी मिली थी छूट, चाबहार केस में भारत फिर बनेगा सेफ्टी वॉल्व, ईरान को हिन्दुस्तान से क्यों उम्मीद
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अमेरिका ने भारत एवं ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह से परिचालन के संबंध में समझौता किये जाने पर नाखुशी जाहिर की है और स्पष्ट किया है कि प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के साथ व्यापारिक समझौते करने पर जवाबी कार्रवाई के जोखिम से भारत सहित किसी को भी कोई छूट हासिल नहीं है।भारत और ईरान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने चेतावनी दी कि ईरान के साथ व्यापारिक सौदों में शामिल सभी पक्षों को “प्रतिबंधों के संभावित जोखिम” का सामना करना पड़ेगा।इधर अमेरिकी रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरानी राजदूत इराज इलाही ने मंगलवार को कहा कि “भारत का महत्व” ही किसी भी देश को ईरान के साथ सहयोग को लेकर प्रतिबंध लगाने से रोकेगा। हालांकि, इलाही ने  बातचीत में यह स्वीकार किया कि किसी भी अमेरिकी प्रतिबंध से नुकसान होगा क्योंकि कई देशों के व्यापारिक हित चाबहार बंदरगाह से जुड़े हैं। वे सभी चाबहार को एक ट्रांजिट हब के रूप में देख रहे हैं।भारत और ईरान द्वारा सोमवार को हस्ताक्षरित 10 साल का समझौता चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल के दीर्घकालिक विकास का रास्ता खोलेगा। इस बंदरगाह का परिचालन सरकारी कंपनी इंडिया ग्लोबल पोर्ट्स लिमिटेड (IGPL) की सहायक कंपनी द्वारा किया जाएगा। इस टर्मिनल को सुसज्जित करने के लिए कंपनी 120 मिलियन डॉलर की निवेश की योजना बना रही है। भारत ने भी चाबहार के आसपास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 250 मिलियन डॉलर के क्रेडिट विंडो की भी पेशकश की है।जब 2016 में नई दिल्ली, तेहरान और काबुल ने इस बंदरगाह को विकसित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, तब अमेरिका ने अपने प्रतिबंध से चाबहार को अलग कर दिया था। उस समय, प्रतिबंध से बाहर निकालने का अमेरिकी फैसला अफगानिस्तान में व्यापार और विकास में बंदरगाह की सुविधा और क्षमता के साथ-साथ भारतीय पक्ष की पैरवी से प्रभावित था।चाबहार पर भारत-ईरान समझौते के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग में एक नियमित मीडिया ब्रीफिंग में पूछे जाने पर, उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे और हम उन्हें लागू करना जारी रखेंगे। जब उनसे पूछा गया कि प्रतिबंधों के दायरे में भारतीय कंपनियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है, तो उन्होंने कहा कि हमने कई बार कहा है कि कोई भी इकाई, कोई भी व्यक्ति जो ईरान के साथ व्यापारिक समझौते पर विचार कर रहा है, उन्हें उस संभावित जोखिम के बारे में पता होना चाहिए जिसके लिए वे खुद प्रतिबंधों का संभावित जोखिम मोल ले रहे हैं।ईरानी राजदूत इलाही ने पटेल की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मुझे लगता है कि भारत का महत्व किसी भी पक्ष को चाबहार पर भारत और ईरान के बीच सहयोग के संबंध में भारत पर प्रतिबंध लगाने से रोकता है।” इलाही ने कहा, “इसके अलावा, चाबहार परियोजना सिर्फ ईरान या भारत के लाभ के लिए नहीं है। चाबहार दक्षिण पूर्व एशिया से यूरोप, रूस और मध्य एशिया तक माल के आवागमन की सुविधा प्रदान करेगा। अगर अमेरिका इस प्रोजेक्ट पर कोई प्रतिबंध लगाता है तो इसका मतलब ये होगा कि अमेरिका सिर्फ भारत या ईरान ही नहीं बल्कि कई देशों के व्यापार को नुकसान पहुंचाएगा। अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता की टिप्पणी पर भारत की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

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