उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए चल रहे रेस्क्यू आपरेशन में सोमवार को वर्टिकल ड्रिल के दौरान भी बाधा खड़ी हो गई है। लगभग 30 मीटर ड्रिल होने के बाद पाइप के सामने कठोर चट्टान सामने आ गई है, जिससे कार्य प्रभावित हो रहा है।
वहीं, ऑगर मशीन का हेड अभी मलबे से नहीं निकल पाया है।
प्लाजमा कटर से कटिंग के बाद ही मैनुअल आपरेशन शुरू हो पाएगा। रेस्क्यू आपरेशन टीम ने रविवार को टनल के दो तरफ से रेस्क्यू आपरेशन तेजी से शुरू किया था। टनल के ठीक ऊपर से रविवार को ड्रिल कर 19.2 मीटर लंबा व एक मीटर चौड़ा पाइप डाल दिया था। सोमवार दोपहर तक 30 मीटर पाइप जाने के बाद कठोर चट्टान आने से काम फिलहाल थम गया है। इसके साथ ही पानी का रिसाव होने से भी नई बाधाएं खड़ी हो गई है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अपर सचिव व एनएचआईडीसीएल के निदेशक महमदू अहमद ने प्रेस बीफ्रिंग के दौरान बताया कि वर्टिकल टनल लगभग 86 मीटर की जानी है, लेकिन 30 मीटर पाइप जाने के बाद कठोर पत्थर आ गए हैं। हालांकि, इस पर भी ड्रिल करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पानी का रिसाव इतना नहीं है कि उसमें काम करना मुश्किल हो।
उन्होंने बताया कि टनल के ऊपर से चट्टान के स्टेट्स का पता लगाने को ट्रायल बोर अब तक 75 मीटर हो चुका है। इसे लगभग 100 मीटर तक ड्रिल किया जाना है। इस ड्रिल का मकसद चट्टान के तौर-तरीके का पता लगाना है, जिससे आपरेशन में फायदा मिल सके। आपरेशन के 16 वें दिन भी रेस्क्यू टीम मजदूरों को बाहर निकालने के जद्दोजहज में लगी रही।
उत्तरकाशी समेत उत्तराखंड में बारिश का पूर्वानुमान
उत्तराखंड मौसम पूर्वानुमान में बारिश पर अपडेट सामने आया है। उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान अब मौसम पर भी सभी वैज्ञानिकों की नजर बनी है। यहां बारिश की वजह से रेस्क्यू में मुश्किल पैदा होने के आसार है। सोमवार को प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बादल छाए रहे।
मौसम विभाग ने पहाड़ी जिलों में बारिश का पहले से ही अलर्ट जारी किया है। हालांकि सोमवार शाम साढ़े पांच बजे तक बारिश नहीं हुई थी। मौसम निदेशक डॉ. बिक्रम सिंह का कहना है कि सोमवार से प्रदेशभर में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने का असर दिखाई पड़ा है। पहाड़ी जिलों में बारिश के अनुकूल मौसम बना है। सोमवार रात तक बारिश होने की पूरी संभावना है। उत्तरकाशी जिले में पूरे दिन बादल छाए रहे।