उत्तर प्रदेश में भाजपा कार्यसमिति की बैठक के बाद मची हलचल के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच वार-पलटवार का दौर चल रहा है।अखिलेश यादव ने गुरुवार को एक्स पर सौ लाओ सरकार बनाओ, मानसून ऑफर लिखा तो भाजपा के तमाम नेताओं की तरफ से उन पर हमले शुरू हो गए। अखिलेश ने भले ही किसी का नाम नहीं लिखा लेकिन उनका इशारा केशव प्रसाद मौर्य की तरफ ही था। अब शुक्रवार को केशव प्रसाद मौर्य ने खुद अखिलेश के ऑफर का पलटवार किया है।केशव ने भी एक्स पर ही लिखा कि मानसून ऑफर को 2027 में 47 पर जनता और कार्यकर्ता फिर समेटेंगे। एक डूबता जहाज और समाप्त होने वाला दल जिसका वर्तमान और भविष्य खतरे में है। वह मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख सकता है, परंतु पूर्ण नहीं हो सकता। 2027 में 2017 दोहरायेंगे, फिर कमल की सरकार बनायेंगे।दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भाजपा ने 47 सीटों पर समेट दिया था। हालांकि 2022 में सपा सौ के पार सीटें जीतने में सफल हो गई थी। दो महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में तो सपा ने अपना पिछला सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए लोकसभा की 80 में से 37 सीटें जीत ली थी। इससे भाजपा 63 से 33 पर सिमट गई है। इसी नतीजे के बाद से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के हौसले बुलंद हैं। वह भाजपा की हर गतिविधि पर तंज कसते रहते हैं। उनके निशाने पर ज्यादातर केशव प्रसाद मौर्य ही रहते हैं।पिछले तीन दिनों में अखिलेश ने केशव मौर्य पर चार बार तो केशव ने दो बार अखिलेश पर निशाना साधा है।अखिलेश पर जहां भाजपा के अन्य नेताओं ने भी हमले तेज किए तो वहीं चाचा शिवपाल यादव भी मैदान में आ गए। शिवपाल ने केशव को सिराथू में मिली हार की याद दिला दी।पूरे मामले की शुरुआत केशव प्रसाद मौर्य के सरकार से बड़ा संगठन वाले बयान के बाद भाजपा नेताओं की तरफ से आई प्रतिक्रिया के बाद शुरू हुआ है। इन प्रतिक्रियाओं के बीच ही केशव प्रसाद दिल्ली पहुंचे और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात की। उनके पीछे पीछे यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी दिल्ली में जेपी नड्डा से मिले। उन्होंने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी मुलाकात की। इन मुलाकातों ने ही हलचल ज्यादा बढ़ा दी और विपक्ष को तंज कसने और निशाना साधने का मौका मिल गया था।