हिमाचल प्रदेश में भाजपा के दावे पर सियासत गरमा गई है। हिमाचल भाजपा ने शुक्रवार को दावा किया कि हिमाचल प्रदेश कैबिनेट (Himachal Pradesh Cabinet News) के तीन खाली पदों को जानबूझकर नहीं भरा जा रहा है।
कांग्रेस खाली पदों को इसलिए नहीं भर रही है क्योंकि अंतर्कलह को टाला जा सके। भाजपा प्रवक्ता रणधीर शर्मा (BJP spokesperson Randhir Sharma) ने कहा कि उनकी पार्टी कैबिनेट में जातीय और क्षेत्रीय असंतुलन का मुद्दा लंबे समय से उठा रही है।
BJP प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर और कुल्लू जिलों समेत निचले हिमाचल प्रदेश के साथ मंत्रिमंडल में ‘सौतले भाई सरीखा व्यवहार’ किया जा रहा है। सुखविंदर सिंह सुक्खू (Himachal Pradesh CM Sukhwinder Singh Sukhu) ने पिछले साल 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उनके साथ मुकेश अग्निहोत्री ने बतौर उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उन्होंने छह मुख्य संसदीय सचिवों को भी शपथ दिलाई थी। इस साल फरवरी में सुक्खू ने अपने मंत्रिमंडल में और सात मंत्रियों को शामिल किया था।
इस प्रकार हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या बढ़कर नौ हो गई जबकि राज्य में 12 मंत्री बनाए जा सकते हैं। रणधीर शर्मा (Randhir Sharma) ने दावा किया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंत्रिमंडल विस्तार से पहले मुख्य संसदीय सचिवों को शामिल किया ताकि विधायकों में नाराजगी को दूर किया जा सके। ये नियुक्तियां असंवैधानिक थी। इसे अदालत में चुनौती दी गई है। भाजपा नेता ने कहा- अब कैबिनेट विस्तार में देरी कांग्रेस में कलह को टालने के लिए की जा रही है।
कांगड़ा राज्य का सबसे बड़ा जिला है जहां से 15 विधायक चुनकर आते हैं। इस बार इनमें से 10 कांग्रेस के हैं। इसके बावजूद वह राज्य मंत्रिमंडल में अपनी वाजिब हिस्सेदारी का इंतजार कर रहा है। गौरतलब है कि कांगड़ा से केवल एक विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, जबकि सात विधायकों को चुनकर विधानसभा भेजने वाले शिमला जिले के तीन विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। वहीं, बिलासपुर, मंडी, कुल्लू और लाहौल स्पीति जिलों का मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। कांग्रेस ने 68 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी।