शेयर बाजारों में लिस्टेड कंपनियों को अब किसी प्रकार की जानकारी या खुलासे संबंधी दस्तावेज अलग-अलग एक्सचेंजों को नहीं देना पड़ेगा. किसी भी एक एक्सचेंज पर दी गई जानकारी ऑटोमैटिकली अपलोड हो जाएगी.
यह कदम सेबी की ओर से हाल ही में लिस्टेड कंपनियों द्वारा खुलासे के साथ-साथ लिस्टिंग जरूरतों में व्यापक बदलावों का प्रस्ताव दिए जाने के बाद उठाया गया है. इसके अलावा हिंडनबर्ग विवाद के बीच सेबी चीफ ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स पर भी बड़ी बात कही है.
REIT पर क्या कहा?
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (रीट) पर टिप्पणी करने से सोमवार को इनकार करते हुए कहा कि अगर वह इस विषय पर कुछ कहेंगी तो उनपर हितों के टकराव का आरोप लगाया जाएगा.
बुच ने यह बात ऐसे समय में कही है जब अमेरिकी निवेश एवं शोध कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में उनके और निजी इक्विटी क्षेत्र की कंपनी ब्लैकस्टोन से जुड़े संभावित हितों के टकराव के बारे में सवाल उठाए हैं. उनके पति धवल बुच ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार हैं, जो रीट क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी है. हालांकि, दंपति ने आरोपों का खंडन किया है.इसके अलावा, हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि रीट विनियम 2014 में सेबी के हालिया संशोधनों से एक विशिष्ट वित्तीय समूह को लाभ पहुंचा है. सेबी ने इन आरोपों को खारिज किया है.
नहीं दिया कोई बयान
सेबी की प्रमुख बुच ने सोमवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा, यदि मैं रीट पर एक शब्द भी कहूंगी तो मुझपर हितों के टकराव का आरोप लगा दिया जाएगा.रीट भारतीय बाजार में एक नई अवधारणा है. अपने आकर्षक रिटर्न तथा पूंजी वृद्धि के कारण यह विश्वस्तर पर एक लोकप्रिय विकल्प रहा है.रीट वाणिज्यिक अचल संपत्ति परिसंपत्तियों के खंड से बना होता है, जिनमें से अधिकतर पहले से ही पट्टे पर दी गई होती हैं.
इस बीच, कांग्रेस ने बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नए आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया कि वह इस बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी आईसीआईसीआई बैंक से नियमित वेतन ले रही थीं.कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बुच पांच अप्रैल, 2017 से चार अक्टूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और दो मार्च, 2022 से इसकी चेयरपर्सन हैं.
उन्होंने कहा, माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए नियमित वेतन आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपये बैठता है. वह आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, ईएसओपी और ईएसओपी का टीडीएस भी बैंक से ले रही थीं.सेबी ने हालांकि कांग्रेस के आरोपों पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है.