हाल ही में कोलकाता हाईकोर्ट के न्यायाधीश पद से रिटायर हुए न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास ने बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने कहा था कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य थे। उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों और बार के सदस्यों की उपस्थिति में अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति दास ने कहा कि यदि संगठन उन्हें किसी भी सहायता या किसी ऐसे काम के लिए बुलाता है जिसमें वह सक्षम हैं तो वह ‘संगठन में वापस जाने के लिए तैयार हैं’।दो महीने पहले उनके पूर्व सहयोगी अभिजीत गंगोपाध्याय ने बीजेपी में शामिल होने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) चित्तरंजन दास भी राजनीति में जाएंगे?हालांकि द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में चित्तरंजन दास ने बताया कि वे कभी राजनीति में नहीं जाएंगे। उनसे पूछा गया कि अगर आपको बीजेपी में शामिल होने का ऑफर मिले तो क्या करेंगे? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मैं (बीजेपी ज्वाइन) नहीं करूंगा, मुझे राजनीति पसंद नहीं है। यह मेरे बस की बात नहीं है। मैं राजनीति में नहीं आऊंगा।” उन्होंने कहा, “आरएसएस ने मुझे सिखाया कि आप जिस भी पेशे में हों, आप देश के लिए काम कर रहे हैं। राजनीति मेरे बस की बात नहीं, मैं इसमें शामिल नहीं होऊंगा।” इससे पहले अपने विदाई समारोह के दौरान उन्होंने कहा था, “कुछ लोगों को भले ही अच्छा न लगे, मुझे यहां स्वीकार करना होगा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का सदस्य था और हूं।’’ न्यायमूर्ति दास स्थानांतरण पर उड़ीसा उच्च न्यायालय से कलकत्ता उच्च न्यायालय आए थे। उन्होंने कहा, ‘‘संगठन का मुझ पर बहुत एहसान है… मैं बचपन से लेकर युवावस्था तक वहां रहा हूं।’’37 साल तक संगठन से दूरी बनाकर रखी- न्यायमूर्ति दासन्यायमूर्ति दास ने कहा, ‘‘मैंने साहसी, ईमानदार होना और दूसरों के प्रति समान दृष्टिकोण रखना तथा देशभक्ति की भावना तथा काम के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में सीखा है।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने काम की वजह से करीब 37 साल तक संगठन से दूरी बनाकर रखी। न्यायमूर्ति दास ने कहा, ‘‘मैंने कभी भी संगठन की सदस्यता का इस्तेमाल अपने करियर में उन्नति के लिए नहीं किया क्योंकि यह इसके सिद्धांतों के खिलाफ है।’’ उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी के साथ समान व्यवहार किया, चाहे वह कोई अमीर व्यक्ति हो, चाहे वह कम्युनिस्ट हो, या भाजपा, कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस से हो। न्यायमूर्ति दास ने कहा, ‘‘मेरे सामने सभी समान हैं, मैं किसी के लिए या किसी राजनीतिक दर्शन या तंत्र के लिए कोई पूर्वाग्रह नहीं रखता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मैंने अपने जीवन में कुछ भी गलत नहीं किया है, इसलिए मुझमें यह कहने का साहस है कि मैं संगठन से जुड़ा हूं क्योंकि यह भी गलत नहीं है।’’
आरएसएस से कैसे और कब जुड़े?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “जब मैं बच्चा था तो मैं काफी शरारती था… एक दिन मैं दूसरे लड़के से लड़ रहा था तभी शाखा प्रचारक नंद किशोर शुक्ला वहां आये। अब, सेवानिवृत्ति के बाद, मैं उन्हें (शुक्ला) खोज रहा हूं। अगर वह जीवित हैं तो मैं उनसे मिलना चाहता हूं। उन्होंने हस्तक्षेप किया और हमें अलग किया… फिर हमें शाखा में आने का निर्देश दिया। शाखा में मुझे कई अच्छे गुण अपनाए गए… जैसे सहनशीलता, धैर्य, जीवन के मानक मूल्य। मैंने सीखा कि आप जिस भी क्षेत्र में काम करें, जाति, पंथ आदि से ऊपर उठकर सभी के साथ समान व्यवहार करते हुए अपने काम के प्रति प्रतिबद्ध रहें। इसने हमें सिखाया कि आप चाहे किसी भी पेशे में हों, आप देश के लिए काम कर रहे हैं।”
विदाई भाषण में क्यों किया आरएसएस से जुड़े होने का खुलासा?
इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “संघ सदस्य के रूप में मैंने बहुत सारे अच्छे गुण सीखे हैं, जिनसे मुझे न्याय दिलाने में मदद मिली। मेरे विदाई भाषण में यह पंक्ति अनायास ही मेरे सामने आ गई। मैंने कभी इस तरह का कोई भाषण देने के बारे में नहीं सोचा था। मैंने कभी यह कहने के बारे में नहीं सोचा कि मैं आरएसएस से हूं। मैंने सोचा कि अगर मैं ऐसा कहूंगा तो इससे विवाद खड़ा हो सकता है। मेरे भाषण के बाद बहुत सारी नकारात्मक टिप्पणियां आईं लेकिन मुझे इसकी चिंता नहीं है क्योंकि मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूं और मैंने अपना काम कर दिया है। मैं कभी भी किसी के प्रति पक्षपाती नहीं था। मैं कह सकता हूं कि अगर आप पूरी तरह से निष्पक्ष व्यक्ति बनना चाहते हैं तो आरएसएस के पास जाएं।”