दिल्ली में बाढ़ से मची तबाही के बीच आम आदमी पार्टी ने हरियाणा सरकार पर यमुना में अधिक पानी छोड़ने का आरोप लगाया था। हालांकि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। साथ ही हरियाणा सरकार की भी इसमें कोई भूमिका नहीं है।
हथिनिकुंड बैराज से पानी सेंट्रल वॉटर कमीशन की गाइडलाइंस के मुताबिक ही छोड़ा जा रहा है। हथिनीकुंड बैराज पर पानी छोड़े जाने की निगरानी करने वाले अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि हथिनिकुंड बैराज से पानी के बराबर बंटवारे की निगरानी होती है। यहां देखा जाता है कि यमुना, पश्चिमी जमुना नजर और पूर्वी जमुना नहर में पानी बराबर जा रहा है या नहीं। यहीं से हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के हिस्से का पानी बंटता है।
क्या है हथिनीकुंड बैराज
साल 1996-98 में केंद्र सरकार ने ऊपरी यमुना रिवर बोर्ड की स्थापना थी। इस बोर्ड को जिम्मेदारी दी गई कि यह दिल्ली में ओखला बैराज तक सभी स्टोरेज और बैराजों से पानी सप्लाई की निगरानी करे। यह सप्लाई छह बेसिन राज्यों उत्तर प्रदेश (यूपी), हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारों के बीच समझौतों के अनुसार होनी थी। हथिनिकुंड बैराज यमुनानगर जिले के ताजेवाला गांव में स्थित है। यहीं से उत्तराखंड के अपने उद्गमस्थल से 172 किमी दूर यमुना मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है और हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा के बीच बंध जाती है। हथिनीकुंड बैराज हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच जल बंटवारे के समझौते के अनुसार प्रवाह को नियंत्रित करता है।
यह है जल बंटवारे का फॉर्मूला
अधिकारियों के मुताबिक सेंट्रल वॉटर कमीशन के मुताबिक हथिनीकुंड बैराज से पानी का बंटवारा दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और यमुना में होता रहा है। लेकिन यह फॉर्मूला तब लागू होता है जब पानी का बहाव एक लाख क्यूसेक के नीचे आता है। ऐसी स्थिति में 15000 क्यूसेक पश्चिमी जमुना नहर, 2000 क्यूसेक पूर्व जमुना नहर और बाकी पानी यमुना नदी में छोड़ा जाता है। हरियाणा के इरिगेशन और वॉटर रिसोर्सेज डिपार्टमेट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर संदीप कुमार के मुताबिक अगर पानी का बहाव एक लाख क्यूसेक के ऊपर जाता है तो पश्चिमी जमुना नहर और पूर्वी जमुना नहर में बिल्कुल भी पानी नहीं छोड़ा जाएगा। इसकी जगह, पूरा का पूरा पानी यमुना नदी में छोड़ा जाएगा। इसकी वजह यह है कि पूर्वी और पश्चिमी जमुना नहर पानी के इस दबाव को झेल पाने में सक्षम नहीं हैं। शुक्रवार को दोपहर 3 बजे यमुना में पानी का बहाव 58495 क्यूसेक मापा गया। अब 10510 क्यूसेक पूर्वी जमुना नहर में छोड़ा जा रहा है। लेकिन पूर्वी जमुना नहर में पानी नहीं छोड़ा गया है। अधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश से पानी नहीं मांगा गया है। इसकी वजह यह है कि यूपी में पूर्वी जमुना नहर में दरार है। अब जब वे मांग करेंगे तो पानी पूर्वी जमुना नहर में छोड़ा जाएगा। अधिकारियों ने यह भी कहा कि वे एक सीमा से अधिक पानी नहीं रोक सकते, क्योंकि ऐसा करने पर हरियाणा के आसपास के जिलों में हालात भयावह हो सकते हैं।
कब होती है वॉटर शेयरिंग
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि गर्मियों या उन महीनों में जब सूखा पड़ रहा होता है, पानी का बंटवारा 1994 में राज्यों के बीच हुए समझौते के हिसाब से होता है। उदाहरण के लिए 29 मई 2023 को हथिनिकुंड बैराज में वॉटर फ्लो महज 4625 क्यूसेक ही था। तब 3254 क्यूसेक पानी पश्चिमी जमुना नहर के जरिए दिल्ली और हरियाणा, जबकि 1019 क्यूसेक पूर्वी जमुना नहर के जरिए उत्तर प्रदेश के लिए छोड़ा गया था। बाकी 352 क्यूसेक पानी यमुना में गया था। अधिकारियों ने कहा कि यह पानी यमुना में जलीय जीवन के लिए सीडब्ल्यूसी के दिशानिर्देशों के अनुसार यमुना छोड़ा गया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री के सिंचाई सलाहकार देवेंदर सिंह ने बताया कि हथिनिकुंड बैराज एक बांध है, बैराज नहीं। यह सीमित मात्रा में ही पानी को नियंत्रित कर सकता है। यमुना में पानी हथिनीकुंड बैराज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए छोड़ा गया है। यह वही पानी है जो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के चलते आया और एक्सेस हो गया है।
हरियाणा बनाम दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए हरियाणा सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों ने यमुना नदी में पानी के प्रवाह पर अपने प्रदेश की स्थिति स्पष्ट की। देवेंद्र सिंह ने एक बयान में कहा है कि दिल्ली सरकार का दावा है कि हथिनीकुंड एक बैराज है, न कि बांध, जिससे पानी के प्रवाह की मात्रा को नियंत्रित करना तकनीकी रूप से मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का यह दावा कि हथनीकुंड बैराज से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण यमुना का जलस्तर बढ़ा है, बिल्कुल गलत है। देवेंद्र सिंह ने आगे कहा कि इस संबंध में अरविंद केजरीवाल द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री को लिखे गए पत्र का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पानी के कारण यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत में भूमि कटाव और जल-जमाव हुआ है, जिससे हरियाणा को जान-माल का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।