पड़ोसी देश चीन द्वारा संभावित हमले को ध्यान में रखते हुए ताइवान ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। खुद की सेना को और मजबूत करने के इरादे से ताइवान जल्द ही अमेरिका से घातक हथियार खरीदने जा रहा है।
ताइवान संभावित चीनी हमले का जवाब देने के इरादे से 400 से अधिक हार्पून मिसाइल खरीदेगा। इस खरीद सौदे को 2020 में संसद ने मंजूरी दे दी थी। ट्रेड ग्रुप के नेता और इस मुद्दे से परिचित लोगों के इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ताइवान जमीन से हमला करने वाली हार्पून मिसाइल खरीदेगा। इससे पहले ताइवान ने हार्पून के शिप-लॉन्च संस्करण खरीदे थे। इन्हें बोइंग कंपनी द्वारा बनाया गया था।
1.7 बिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट
अब, यूएस नेवी एयर सिस्टम्स कमांड ने ताइवान की ओर से बोइंग को एक कॉन्ट्रैक्ट जारी किया है। यूएस-ताइवान बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष रूपर्ट हैमंड-चेम्बर्स के मुताबिक, रिमोट के जरिए जमीन से लॉन्च होने वाली मिसाइल के लिए ताइवान की ओर से यह पहला कॉन्ट्रैक्ट है। ट्रेड के एक अधिकारी सहित डील से परिचित तीन अन्य लोगों ने भी पुष्टि की है कि यह कॉन्ट्रैक्ट ताइवान के लिए ही है। पेंटागन ने 7 अप्रैल को बोइंग के साथ 1.7 बिलियन डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट की घोषणा की थी। लेकिन इसने खरीदार के रूप में ताइवान का कोई जिक्र नहीं किया।
क्यों खास है हार्पून मिसाइल?
हार्पून मिसाइल अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम है। हार्पून मिसाइल की तैनाती पहली बार साल 1977 में की गई थी। यह किसी भी मौसम में हमला करने वाली मिसाइल है। इसकी खास बात ये है कि ये समुद्र से ठीक ऊपर कम ऊंचाई में उड़ सकती है। राडार और एंटी-मिसाइल तकनीक की पकड़ में आने से भी बच सकती है। इसे सी-स्कीमिंग (Sea Skimming) तकनीक कहते हैं।
अमेरिका और चीन के बीच तनाव जोरों पर
यह डील ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और चीन के बीच तनाव जोरों पर है। चीन दावा करता है कि स्व-शासित द्वीप ताइवान उसके क्षेत्र का हिस्सा है। चीन ने सेना के इस्तेमाल से ताइवान पर कब्जा करने की बात भी कही है। इस महीने कैलिफोर्निया में ताइवान की राष्ट्रपति ने अमेरिकी हाउस स्पीकर केविन मैककार्थी के साथ मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य अभ्यास किया। इधर अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन मीनर्स ने ताइवान द्वारा हार्पून मिसाइलों की खरीद के संबंध में जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि “हम ताइवान को समय पर रक्षा उपकरण प्रदान करने के लिए उद्योग के साथ काम करना जारी रखेंगे।”
अपनी तैयारियों में जुटा चीन
इस बीच चीन ने युद्धकाल में सैन्य भर्ती के लिए संशोधित नियमों का एक नया ‘सेट’ जारी किया है, जिसमें पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता देना, अधिक क्षमता वाले सैनिकों को नियुक्त करना, अनिवार्य सैन्य सेवा का मानकीकरण करना आदि शामिल हैं। उसके इस कदम को ताइवान के साथ युद्ध की तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है। खबर के अनुसार, दक्षिण चीन सागर सहित कई मोर्चों पर और विशेष रूप से ताइवान जलडमरुमध्य में चीन के भू-राजनीतिक तनावों का सामना करने के मद्देनजर नये नियम जारी किए गए हैं।
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने ताइवान को घेरने की अपनी क्षमता को परखने के लिए इस स्वशासित द्वीप के पास हाल में एक नया सैन्य अभ्यास किया है। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर केविन मैककार्थी से मुलाकात करने के बाद सोमवार को यह तीन दिवसीय अभ्यास समाप्त हुआ। चीन का मानना है कि विदेशी सरकारों और ताइवान के बीच कोई भी आधिकारिक संवाद द्वीप पर बीजिंग की संप्रभुता के दावे का उल्लंघन है।