नए संसद भवन को लेकर पिछले कुछ दिनों से जारी विवाद तूल पकड़ता जा रहा है.
28 मई को इसका उद्घाटन भी तय माना जा रहा है लेकिन यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. एक पीआईएल दायर करके याचिकाकर्ता ने पीएम मोदी के हाथों संसद भवन के उद्घाटन का विरोध किया है. सपा की मदद से राज्यसभा पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने इस मसले पर एक ट्वीट कर इसके उद्घाटन को लेकर सवाल उठाए हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने अपने ट्वीट में लिखा है कि संसद हमारे गणतंत्र का प्रतीक है. राष्ट्रपति गणतंत्र का प्रमुख होता है. इस औपचारिक आयोजन में राष्ट्रपति की अनुपस्थिति हमारे गणतंत्र के लोकाचार का अवमूल्यन करने के बराबर है. उन्होंने केंद्र से सवालिया लहजे में पूछा है कि क्या सरकार को इस बात की परवाह है! कपिल सिब्बल अपने ट्वीट के जरिए अहम सवाल उठाए हैं. उनके इस सवाल से साफ है कि इतना बड़ा अवसर जो सीधे देश के गणतंत्रीय और लोकतंत्रीय ढांचे से जुड़ा है, उसमें भी राष्ट्रपति की उपेक्षा को कितना जायज माना जा सकता है.
एक साथ 1272 सांसदों के बैठने की क्षमता
नए संसद भवन का 28 मई को उद्घाटन होगा. उद्घाटन समारोह को ध्यान में रखते हुए नई संसद की नई इमारत की साज-सज्जा का काम अंतिम चरण में है. बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी. उसी समय से संसद भवन का निर्माण विवादों के घेरे में है. फिलहाल, आपको यह बात दें कि नए संसद भवन की आंतरिक साजसज्जा पर खासा ध्यान दिया गया है. यह 64,500 वर्गमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला है. इको फ्रेंडली ग्रीन कंस्ट्रक्शन से बिजली खपत को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकेगा. नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सांसदों, राज्यसभा कक्ष में 384 सांसदों के बैठने की सुविधा होगी. संयुक्त संसद अधिवेशन में 1272 सांसदों की सिटिंग क्षमता होगी. हाईक्वॉलिटी ऑडियो-विडियो सिस्टम तैयार किया गया है. इसके अलावा, नए भवन में संविधान हॉल, लाइब्रेरी, कमेटी कक्ष है.